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कृषि कानून के विरोध में दिल्ली सीमा पर चल रहे प्रदर्शन को 100 से अधिक दिन हो गए हैं। किसानों ने सर्दी को सहने के बाद गर्मी की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इतने समय के बाद भी किसानों का हौसला टूट नहीं रहा है। किसानों ने दृढ़ निश्चय कर लिया है कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेगी तब तक वह दिल्ली की सीमा से वापस अपने घर नहीं जाएंगे। Kisan Pahunche Pakshim Bangaal
किसानों ने जब आंदोलन शुरू किया था तो किसानों का मानना था कि वह राजनीति में नहीं पड़ना चाहते और इसलिए किसी भी राजनीतिक पार्टी या नेता को अपने आंदोलन में हिस्सा लेने नहीं देंगे।
यहां तक की जब दिल्ली के मुख्यमंत्री किसानों से मिलने पहुंचे थे तो उन्हें आंदोलन स्थल से बहुत पहले रोक दिया गया था यह कहकर कि वह इस आंदोलन को राजनीतिक रूप नहीं देना चाहते।
अपने मुद्दे से भटकता नज़र आ रहा आन्दोलन
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लेकिन 100 दिन बीत जाने के बाद किसानों का आंदोलन कृषि कानूनों से कुछ भटकता हुआ नजर आ रहा है । किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए इतने ज्यादा अग्रसर हो गए हैं, वह अब राजनीति में प्रवेश करने लगे हैं। किसानों और केंद्र सरकार के बीच की खाई गहराती जा रही है।
दोनों ही पक्षों के बीच काफी समय से कोई वार्ता ना होने के कारण किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जिसका फायदा विपक्षी दल खूब उठा रहा है। Kisan Pahunche Pakshim Bangaal
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल महापंचायत को संबोधित कर केंद्र पर हमलावर रुख अपना रहे हैं। किसानों के आंदोलन को अपने राजनीतिक फायदे के लिए विपक्षी पार्टियां इस्तेमाल कर रही हैं।
तो वहीं अब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी इस आंदोलन को राजनीतिक रुप देने लग गए हैं।
किसान भापजा को वोट न देने की कर रहे अपील
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बंगाल में चुनाव के मद्देनजर राकेश टिकैत राज्य में रैलियां निकालेंगे जिसमें उन्होंने भाजपा को घेरने की रणनीति बनाई है।
इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा बंगाल में पहुंचकर नागरिकों से बात कर उन्हें भाजपा को वोट ना देने के लिए कह रहा है। Kisan Pahunche Pakshim Bangaal
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि बंगाल के किसान भाजपा को वोट ना दें और पार्टी का बहिष्कार करें।
तो वही दूसरी ओर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों की घटती हुई संख्या के बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने सोनीपत में जीटी रोड पर पक्का निर्माण करने के बाद अब टिकरी बॉर्डर पर भी पक्के मकान बनाने शुरू कर दिए हैं।
हौसलों की तरह मकान भी पक्के
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किसान सोशल आर्मी ने स्थाई निर्माण बना लिया है और कई जगहों पर भी निर्माण कार्य जारी है। इस निर्माण कार्य को लेकर किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनिल मलिक के अनुसार यहां पर निर्मित घर पक्के तौर पर मजबूती के साथ बनाए गए हैं जैसे कि प्रदर्शनकारी किसानों के हौसले हैं।
टिकरी बॉर्डर पर अब तक 25 पक्के घर बना दिए गए हैं। हजार – दो हजार और घर इसी तरह बनाए जाएंगे। Kisan Pahunche Pakshim Bangaal
कानून बनाने में नही ली थी अनुमति
किसानों के अनुसार जिस प्रकार केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को बनाने से पहले किसी की अनुमति नहीं ली उसी तरह से किसान भी यह पक्के घर बनाने से पहले किसी की अनुमति लेना आवश्यक नहीं समझते।
गौरतलब है किसानों द्वारा किया जा रहा है यह निर्माण अवैध सा प्रतीत हो रहा हैं।
तो वही आंदोलन को राजनीतिक रूप न देने की बात किसानों की अब कहीं पीछे छुटती हुई नजर आ रही है।
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