कोलकाता : पश्चिम बंगाल में गत विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक कई चुनाव व उपचुनाव हो गये। ऐसे में यहां राजनीतिक शोर-शराबा भी लगातार जारी है। शनिवार को आसनसोल लोकसभा और बालीगंज विधानसभा में उपचुनाव के नतीजों की घोषणा की गयी। आसनसोल व बालीगंज दोनों ही सीटों पर तृणमूल को जीत मिली है। बात करें विपक्ष की तो आसनसोल में भाजपा जबकि बालीगंज में माकपा दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी।
हालांकि अगर ये समझा जाए कि इस उपचुनाव में भाजपा या माकपा ने क्या खोया, क्या पाया, तो फिर इतना स्पष्ट है कि भाजपा ने तो खोया ही खोया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये दौर भाजपा के लिए आत्ममंथन का है। वहीं माकपा ने जिस प्रकार बालीगंज में तृणमूल का मुकाबला किया और दूसरे नंबर पर आयी, इससे माकपा को संतोष तो है ही, इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि अब पार्टी आगे के चुनावों के लिए भी और अधिक तैयारी के साथ सामने आने वाली है।
भाजपा से छिन गया आसनसोल
आसनसोल लोकसभा हमेशा से ही माकपा का गढ़ रहा है। यहां कभी तृणमूल नहीं जीत पायी थी। वहीं वर्ष 2014 से आसनसोल में भाजपा जीतती हुई आ रही थी, लेकिन इस उपचुनाव में भाजपा से आसनसोल छिन गया। भाजपा की अग्निमित्रा पॉल को यहां तृणमूल के शत्रुघ्न सिन्हा से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।
बालीगंज में जमानत भी नहीं बचा पायी भाजपा
गत 2021 के विधानसभा चुनाव में स्व. सुब्रत मुखर्जी के सामने भाजपा के एडवोकेट लोकनाथ चटर्जी उम्मीदवार बने थे। सुब्रत मुखर्जी ने भारी मतों से उन्हें हराया था, लेकिन भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि इस बार भाजपा तीसरे नंबर की पार्टी बालीगंज में बन गयी। इस उपचुनाव में भाजपा की केया घोष को कुल 13,174 वोट मिले और पार्टी अपनी जमानत भी नहीं बचा पायी। गत 2021 के विधानसभा चुनाव में बालीगंज में भाजपा को 20.68% वोट मिले थे जबकि इस उपचुनाव में केवल 12.8% वोट मिले हैं।
इसी तरह तृणमूल का मत-प्रतिशत भी कम हुआ है। गत विधानसभा चुनाव में तृणमूल को 70.60% वोट मिला था जबकि इस उपचुनाव में 49.7% वोट मिला। वहीं माकपा के वोट बैंक में इजाफा हुआ है। गत विधानसभा चुनाव में माकपा को मिले 5.61% वोटों की तुलना में इस बार उपचुनाव में पार्टी को 30.1% वोट मिले हैं। इसका मतलब स्पष्ट है कि तृणमूल व भाजपा के काफी वोट इस बार माकपा के खेमे में गये हैं।
कई कारण मान रहे हैं भाजपा नेता
उपचुनाव में इन नतीजों के पीछे भाजपा नेता कई कारण मान रहे हैं। कई नेताओं का कहना है कि गत विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के नेता खड़े नहीं हुए। इस कारण पार्टी को उसके बाद सभी चुनावों में मुंह की खानी पड़ रही है। इसके अलावा सांगठनिक कमियां व आपसी गुटबाजी तो हार का कारण हैं ही।
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माकपा को संतोष मगर आगे के लिए तैयारी जरूरी
आसनसोल में माकपा ने पार्थ मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया था। यहां पार्टी का 0.72% वोट बढ़ा है। वहीं बालीगंज में सायरा शाह हलीम चुनावी मैदान में थीं और यहां पार्टी ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया। माकपा उम्मीदवार को यहां से 30,971 वोट मिले हैं। ऐसे में उपचुनावों के नतीजे माकपा के लिए कुछ संतोषजनक तो हैं मगर अब आगे की रणनीति बनाने के लिए अभी से तैयारी की आवश्यकता है।