अमेठी : राजेश सोनी : उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक प्राईवेट हॉस्पिटल में इलाज के दौरान बरती गई लापरवाही से एक सात साल के मासूम की जान चली गई। घटना से गुस्साए परिवारीजनों ने घंटों हॉस्पिटल पर हंगामा काटा। मामला तब शांत हुआ जब मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने कार्रवाई का भरोसा दिया और परिजनों से तहरीर मांगा। पुलिस अब शव को पोस्टमार्टम में भेजकर पूरे मामले में विधिक कार्रवाई करने में जुट गई है
जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र की घटना
मामला जिले के जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र के राधेश्याम सत्य प्रकाश हॉस्पिटल का है। जहां मंगलवार रात इसी कोतवाली क्षेत्र के कपुरीपुर निवासी जय बहादुर सिंह के सात वर्षीय पुत्र युवराज सिंह की एकाएक तबियत खराब हो गई। जय बहादुर ने बताया कि रात 11 बजे लड़के की तबियत खराब हुई उसे पलटी हो रही थी। उसको हम सरकारी हॉस्पिटल लेकर आए वहां संजय डॉक्टर मिले थे उन्होंने दो टॉनिक दिया था कहा इसको पिलाओ और आधे घंटे में आराम नहीं होगा तो कहीं दूसरी जगह ले जाकर दिखा लेना।
आधे घंटे बाद लड़के को सिर में दर्द शुरू हुई तो उसको हम यहां राधेश्याम हॉस्पिटल लेकर आए। हम सोचे कोई इमरजेंसी इंजेक्शन होगा उसको लगा देंगे उसके बाद वापस लेकर चले जाएंगे। अंदर गए डॉक्टर को बताया वो कहे समस्या कुछ दूसरी है। बोले झटका आता है यह आता है उसके बाद 200 का उन्होंने पर्चा बनवाया और 800 की दवा मिली। डॉक्टर अंदर चले गए और दो नर्स थी। इंजेक्शन जैसे लगाया बच्चा खत्म हो गया.
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हॉस्पिटल डॉक्टर ने नहीं दिया सही जवाब
वहीं मृतक मासूम के नाना सतनाम सिंह ने बताया कि हमारी लड़की का लड़का बीमार हुआ तो हमारा दामाद लेकर हॉस्पिटल आया। डॉक्टर ने कहा कि इसे झटका आ रहा है तो हमारे दामाद ने कहा इसे कभी झटका नहीं आया। इस पर डॉक्टर ने कहा कि एमबीबीएस हम हैं डॉक्टर तुम बन रहे। फिर डॉक्टर ने दो नर्सों को लिखा कि यह इंजेक्शन लगाओ। नर्सों ने झटके का इंजेक्शन लगा दिया। दो-तीन में लड़का तड़पा और एक्सपायर कर गया। हॉस्पिटल में जो डॉक्टर और नर्सें काम कर रही हैं उनकी डिग्री की जांच की जाए। इस मामले में जब आरोपी डॉक्टर से बात करने की कोशिश किया गया तो उसने कोई सही जवाब नहीं दिया