भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का काली स्याही फेंके जाने के बाद पहला बयान सामने आया है। राकेश टिकैत ने कहा है कि काली स्याही और जानलेवा हमले भी किसानों की आवाज को दबा नहीं सकते हैं | हालाँकि इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है। राकेश टिकैत ने उन पर हुए इस हमले के लिए स्थानीय पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही भाजपा शासित राज्य सरकार की इसमें मिली भगत बताई।
राकेश टिकैत सोमवार को कर्नाटक की राजधानी स्थित गांधी भवन में किसान संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे | इस दौरान कुछ लोगों ने काफी उपद्रव मचाया और राकेश टिकैत के मुंह पर काली स्याही फेंक दी | किसान नेता ने सोमवार देर रात मामले को लेकर ट्वीट किया, ”काली स्याही और घातक हमले इस देश के किसानों, मजदूरों, दलितों, शोषितों, पिछड़ों और आदिवासियों की आवाज को दबा नहीं सकते। लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी।”
किसान संगठन ने उठाई पुलिस पर कार्यवाही की मांग
राकेश टिकैत के अपमान के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने आवाज़ उठाई और स्याही फेंकने वालों के लिए सख्त सजा की मांग की। आपको बताते चले ,किसानों की 40 से अधिक यूनियन के संगठन ने मांग की है कि, ‘इस लापरवाही के दोषी’ पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाए और मामले में न्यायिक जांच का आदेश दिया जाए।
वहीं कर्नाटक के गृहमंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने राकेश टिकैत के आरोपों को नकार दिया है। उन्होंने कहा, ‘देखिए, इस मामले में 3 लोगों को हिरासत में लिया गया है। मैं जांच अधिकारियों के संपर्क में हूं। इस हमले की मैं निंदा करता हूं। हालांकि, देश का संविधान सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। किसान सम्मेलन के आयोजकों ने एक प्रेस कांफ्रेस करके स्याही प्रकरण के लिए किसान नेता कोडिहल्ली चंद्रशेखर पर अपना शक जताया है।
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