कोलकाता : किनारे पर खड़े होकर मछली पकड़ना अच्छा नहीं लगता, मझदार में आकर लड़ना चाहिए ! इसी सोच के साथ केंद्रीय मंत्री रह चुके भाजपा के पूर्व नेता और तृणमूल के उम्मीदवार (बालीगंज उपचुनाव) बाबुल सुप्रियो राजनीति की दूसरी पारी खेल रहे हैं। तृणमूल ने बाबुल पर दाव लगाया है जिसे जीतने के लिए वह भरसक प्रयास में लगे हुए हैं। इस दूसरी पारी में किन तैयारियों को लेकर बाबुल चुनावी समर में उतरे हैं इसे लेकर सन्मार्ग ने खास बात की बाबुल से, पेश हैं उनके साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश –
कुर्सी के लिए भाजपा छोड़ा, अब तृणमूल से चुनाव लड़ रहे हैं ?
कुर्सी के लिए नहीं, मैंने 8 साल भाजपा के लिए काम किया, मगर उसका परिणाम मुझे क्या मिला कुछ नहीं। मैंने आसनसोल की जनता के लिए मंत्री होने के नाते कोलकाता की मेट्रो के लिए आगे चलकर काम किया है। उसके लिए पीएम मोदी से बात की, राज्य में मंत्री फिरहाद हकीम से बात की, नतीजा यह हुआ कि आज मेट्रो का लाभ जनता उठा रही है। मेरा काम मेरा रिपोर्ट कार्ड है जिसमें कहीं मैं फेल साबित नहीं हुआ मगर पार्टी ने मुझे साइडलाइन में खड़ा कर दिया।
एक बंगाली के साथ अन्याय किया गया यह कह कर कि यह कर नहीं पाएगा या इसने किया क्या है ? जाकर देखें आसनसोल में बाबुल सुप्रियो ने क्या किया है, जनता से पूछें मैंने क्या किया है, सबको जवाब मिल जाएगा। मैं जो डिसर्व करता था वह मुझे नहीं दिया गया इसलिए मैंने भाजपा छोड़ी, सांसद पद छोड़ा यहां तक कि राजनीति तक छोड़ दी। दूसरा मौका मुझे दीदी (ममता बनर्जी) ने दिया यह कह कर कि बंगाली हो राजनीति में दोबारा आओ। अब मौका दिया है तो काम करूंगा, इसका मतलब यह भी नहीं है कि चार दिन में मुझे पोस्ट मिल जाएगा। मैं भी यहां छोटे से ही शुरू करूंगा जैसे भाजपा में किया था।
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नसीरुद्दीन शाह के वीडियो पर क्या प्रतिक्रिया देंगे ?
कुछ नहीं, सिर्फ इतना कि उन्हें राजनीति की जानकारी थोड़ी सी कम है। वैसे मैं भी अपने काका को वीडियो से वोट अपील करने कहता तो शायद वह भी मेरे लिए अच्छी बातें और सामने वाले के लिए गलत बोलते लेकिन नसीरुद्दीन शाह ने कुछ स्ट्रांग शब्द का इस्तेमाल किया वह गलत है।
आसनसोल की दो जीत और बालीगंज की भावी जीत पर क्या कहेंगे ?
आसनसोल में मैंने जो काम किया जनता ने उसे देखकर मुझे जिताया था। बालीगंज में मार्जिन की बात नहीं करूंगा। वह 16 अप्रैल को देखा जाएगा।
भाजपा के थे, अब भाजपा के खिलाफ है, भविष्य को लेकर क्या कहना है ?
‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’ इसे भाजपा नहीं कर पायी। मैं सफेद कुर्ते में गया था और सफेद कुर्ते में ही लौटा था। भाजपा में था इसलिए मुझ पर साम्प्रदायिक होने का दाग लगा है। अब मेरे पीछे भी ईडी, सीबीआई लगा दी जाए तो हैरत की बात नहीं होगी, मैं इन सब के लिए तैयार हूं।
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