सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामला और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि, बिलकिस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर ये दोषी माफी के योग्य कैसे बने।
दरअसल, पिछले साल गुजरात सरकार द्वारा रिहा किए गए 11 दोषियों को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हत्या के 14 मामलों और 3 सामूहिक रेप का दोषी पाया गया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि कानून में इसे स्वीकार किया गया है। लेकिन यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ये दोषी कैसे माफी के योग्य बने। सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि उन दोषियों को बहुत दिनों की पैरोल का भी मौका मिला था। क्या ऐसे कैसे कुछ दोषियों को विशेषाधिकार दिया जा सकता है ?
सजा कम करने से संबंधित रिकॉर्ड जमा करे – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, गुजरात को बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा कम करने से संबंधित मूल रिकॉर्ड 16 अक्टूबर तक जमा करने का निर्देश दिया। बता दें कि पहले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने 20 सितंबर को विषय की सुनवाई करते हुए पूछा था कि क्या सजा की अवधि घटाने का अनुरोध करना दोषियों का मूल अधिकार है। पीठ ने 11 दोषियों की ओर से पेश हुए एक वकील से कहा था, ‘क्या सजा की अवधि घटाने की मांग करना एक मूल अधिकार है ? क्या याचिका, अनुच्छेद 32 (जो मूल अधिकारों का हनन होने पर नागरिकों के सीधे उच्चतम न्यायालय का रुख करने का अधिकार देती है) के दायरे में आएगी।
#Breaking: #SupremeCourt reserves judgement in the challenge to the premature release of 11 convicts in the #bilkisbano gang-rape case.
The convicts were released last year on 15 Aug '22, prompting Bano and several others to approach the Supreme Court.https://t.co/E5EGULztTP
— Supreme Court Observer (@scobserver) October 12, 2023
दोषियों की ओर से पेश वकील ने स्वीकार किया था कि सजा की अवधि घटाने का अनुरोध करना दोषियों का मूल अधिकार नहीं है। बता दें कि बिलकिस बानो उस वक्त 21 वर्ष की और पांच महीने की गर्भवती थी, जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई।
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