Thursday, November 21, 2024
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एकनाथ शिंदे और अजित पवार साथ, फिर राज ठाकरे को क्यों ला रही भाजपा

भाजपा ने बिहार, यूपी और तमिलनाडु समेत कई बड़े राज्यों में सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा कर लिया है। लेकिन अब तक 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में समझौता नहीं हो पाया। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे भी दिल्ली पहुंच गए हैं और यहां वह भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि राज ठाकरे को साथ लाकर दक्षिण मुंबई की सीट को साधने की तैयारी है। इस सीट से अरविंद सावंत लगातार सांसद चुने जाते रहे हैं। उनकी एक मराठा नेता की इमेज है और उनके मुकाबले भाजपा के पास कोई बेहतर कैंडिडेट नहीं दिखता।

उन्होंने 2019 के आम चुनाव में मिलिंद देवड़ा को हराकर जीत हासिल की थी। इसके अलावा 2014 में भी वह जीते थे। अब मिलिंद देवड़ा कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे खेमे की शिवसेना में चले गए हैं। भाजपा की कोशिश है कि दक्षिण मुंबई सीट गठबंधन में उसे मिल जाए और वहां से किसी मजबूत मराठा नेता को उतारा जाए। दक्षिण मुंबई वह क्षेत्र है, जहां राज ठाकरे का भी प्रभाव है। ऐसे में यह सीट उन्हें ही मिल सकती है और उनकी पार्टी के नेता बाला नंदगांवकर चुनाव लड़ सकते हैं। बाला नंदगांवकर की छवि एक मजबूत मराठा नेता की है।

उद्धव ठाकरे के प्रभाव वाले क्षेत्र में बनेगा दबाव

इसके अलावा पूरे मुंबई और आसपास के इलाके में भाजपा को ताकत मिलेगी। इसकी वजह यह है कि मनसे का भी एक प्रभाव क्षेत्र रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में तो एमएनएस के करीब 5.5 फीसदी वोट आए थे। 2014 के बाद से यह कम होता दिखा है, लेकिन इसकी वजह भाजपा की उभरती शक्ति है। लेकिन अब जो वोट बैंक बचा भी है, वह यदि भाजपा के साथ आता है तो एक और एक ग्यारह जैसी स्थिति होगी। इसके अलावा भाजपा की रणनीति यह भी है कि अजित पवार और एकनाथ शिंदे गुट पर भी दबाव बनाकर रखा जाए। यही नहीं उद्धव ठाकरे के प्रभाव वाले क्षेत्र से महाराष्ट्र नवनिर्माण को मौका देकर उन पर भी दबाव बनाने की कोशिश होगी।

राज ठाकरे की अमित शाह से होगी मुलाकात

भाजपा सूत्रों का तो कहना है कि राज ठाकरे की अमित शाह से मुलाकात होगी। इस मीटिंग में देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद होंगे। इसी दौरान समझौता हो सकता है। बता दें कि राज ठाकरे भी बीते कई सालों से लगातार राजनीतिक नेपथ्य में हैं। उनका एक वोट बैंक तो है, लेकिन अकेले दम पर वह कोई चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में यदि एक सीट भी भाजपा के साथ जाने पर मिलती है तो महाराष्ट्र नवनिर्माण के लिए बड़ी सफलता होगी।

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