एस्ट्रो डेस्क : हनुमान जी की साधना-आराधना सभी संकटों को दूर करने वाली है, इसीलिए उन्हें संकटमोचक कहा जाता है। बजरंगी की पूजा से जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं, जिस घर में हनुमान जी का चित्र होता है, वहां पर किसी भी प्रकार भय, भूत, प्रेत, बाधा नहीं टिकती है। हनुमान जी शक्ति के पुंज, तेज की साकार प्रतिमा और साहस के प्रतीक हैं. उनका नाम लेते ही बड़े से बड़ा संकट टल जाता है। हनुमान जी की पूजा से शनि से संबंधित कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं बजरंगबली की पूजा और उनकी तस्वीर से जुड़े कुछ जरूरी नियम।
दक्षिण में दिशा में हनुमान जी की पूजा का फल
हनुमत उपासना के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके चित्र लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि बजरंगबली ने अपना सबसे अधिक प्रभाव इसी दिशा में दिखाया था। मान्यता है कि इस दिशा में हनुमान जी का चित्र या मूर्ति आदि लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत उनका चित्र या मूर्ति को देखकर लौट जाती है।
हनुमान जी की पूजा में करें ब्रह्मचर्य का पालन
हनुमान जी की साधना करने वाले साधक को ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करना होता है। साथ ही साथ पूजा करते समय साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखना होता है। हनुमान जी की पूजा हमेशा स्नान–ध्यान के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करके ही प्रारंभ करें।
हनुमान जी को शुद्ध घी का चढ़ाएं प्रसाद
हनुमान जी की पूजा में कभी भी चरणामृत नहीं चढ़ाया जाता है। हनुमान जी की पूजा में गुड़-चना, बूंदी, बूंदी के लड्डू और तुलसी दल का विशेष रूप से प्रयोग करें। हनुमान जी को जो भी प्रसाद चढ़ाएं, वह हमेशा शुद्ध घी से बना होना चाहिए।
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पंचमुखी हनुमान जी के पूजन का फल
मान्यता है कि पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने सुख–समृद्धि की राह में आ रही सभी अड़चनें दूर होती हैं और हनुमान जी की कृपा से धन-धान्य, मान-सम्मान आदि में वृद्धि होती है। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा घर से जुड़े तमाम प्रकार के वास्तु दोष, शत्रु बाधा, बीमारी आदि को दूर करने में चमत्कारिक रूप से लाभदायक है।