कोलकाता : हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित हैं। हफ्ते का पहला दिन भगवान भोलनाथ की उपासना और भक्ति का दिन माना जाता है। सोमवार के दिन अगर विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है तो उसका विशेष फल मिलता है और जीवन से समस्त कष्ट मिट जाते हैं। सभी देवी-देवताओं में भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं। साधारण नियमों का पालन कर ही शिवजी को प्रसन्न किया जा सकता है।
व्रत के ये हैं नियम
भगवान भोलेनाथ को अगर प्रसन्न करना है तो सोमवार का व्रत करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन सुर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहनना चाहिए। घर के आसपास अगर शिवजी का मंदिर है तो वहां जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक या दुग्धाभिषेक करना चाहिए। इसके बाद दिनभर के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शिव जी और मां पार्वती की पूजा करना चाहिए, फिर व्रतकथा को सुनना चाहिएशास्त्रों के अनुसार सोमवार का व्रत करने वाले लोगों को तीन पहर में से एक पहर में ही भोजन करना चाहिए। व्रत के दौरान फलाहार किया जा सकता है। मान्यता के अनुसार सोमवार का व्रत तीन तरह का होता है। एक हर सोमवार को किया जाने वाला व्रत, दूसरा सौम्य प्रदोष और तीसरा सोलह सोमवार का व्रत। इन तीनों ही व्रतों को करने में पूजा के नियम और व्रत के विधि-विधान एक जैसे हैं।
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– शिवजी की पूजा के दौरान जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक किया जाता है। अगर दूध का जलाभिषेक कर रहे हैं तो तांबे के लोटे में दूध न डालें। तांबे के लोटे में दूध को डालने से वह संक्रमित होकर चढ़ाने योग्य नहीं रह जाता है।
– शिवलिंग पर कोई भी वस्तु जैसे दूध, दही या शहद चढ़ाए जाने के बाद ही जलाभिषेक को पूर्ण माना जाता है।
– शिवलिंग पर कभी भी सिंदूर का तिलक या रोली नहीं लगाना चाहिए. हमेशा चंदन का तिलक ही लगाया जाना चाहिए।
– शिव मंदिर की परिक्रमा कभी भी पूरी नहीं करना चाहिए. जहां से दूध बहता है वहां रुक जाना चाहिए और वापस लौटना चाहिए।