डिजिटल डेस्क : इस साल 12 फरवरी दिन शनिवार को जया एकादशी व्रत है. माघ मास (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी व्रत होता है. इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने से नीच योनि से मुक्ति मिलती है, मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. पाप का नाश होता है और दुखों से छुटकारा मिलता है. व्रत रखने वालों को जया एकादशी व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. इससे जया एकादशी व्रत का पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है. आइए जानते हैं जया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि (Puja Vidhi) के बारे में.
जया एकादशी 2022 व्रत एवं पूजा विधि
1. एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व से ही तामसिक भोजन और विचारों से दूर रहें. व्रत के लिए मन, वचन और कर्म से शुद्धता को अपनाएं.
2. एकादशी के दिन प्रात: स्नान करके साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में फूल, अक्षत् और जल लेकर जया एकादशी व्रत एवं भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें.
3. अब भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापति कर दें. उनका गंगाजल से अभिषेक करें. फिर उनको पीले पुष्प, धूप, अक्षत्, सफेद चंदन, हल्दी, दीप, गंध, तुलसी का पत्ता, केला, फल, पान का पत्ता, सुपारी, पंचामृत आदि अर्पित करें.
4. अब भगवान विष्णु को केला, गुड़, चने की दाल, बेसन के लड्डू, मौसमी फल आदि का भोग लगाएं. इसके बाद विष्णु सहस्रनाम, नारायण स्तोत्र आदि का पाठ करें. उसके बाद जया एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें. आप चाहें तो विष्णु मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं.
5. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की घी के दीपक या कपूर से विधिपूर्वक आरती करें. फिर भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना व्यक्त करें. फिर प्रसाद वितरण करें.
6. इसके बाद ब्राह्मणों एवं गरीबों को दान करें. दिनभर फलाहार करते हुए भगवत जागरण करें. इस दिन केला, चावल, बैंगन आदि का सेवन न करें.
7. अगले दिन प्रात:काल स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें. सूर्योदय के बाद पारण करें. ध्यान रहे कि द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व पारण कर लें.
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