जब भी आप किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग (Shivling) की पूजा करते होंगे, तो अन्य मंदिरों की तरह शिवलिंग की भी परिक्रमा (Shivling Parikrama) आपने जरूर लगाई होगी. शिवलिंग की परिक्रमा के खास नियम होते हैं. आमतौर पर अन्य मंदिरों की परिक्रमा पूरी की जाती है, लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा अर्धचंद्राकार लगाई जाती है. यानी ये परिक्रमा आधी होती है जो मंदिर की बाईं ओर से शुरू की जाती है, इसके बाद जलाधारी तक जाकर वापस लौटा जाता है. कभी सोचा है आपने कि ऐसा क्यों किया जाता है ? 1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2022) का त्योहार है. इस मौके पर हम आपको बताएंगे शिवलिंग की अद्भुत शक्तियों के बारे में.
बेहद शक्तिशाली माना जाता है शिवलिंग
शिवलिंग को बेहद शक्तिशाली माना गया है. इसे शिव और शक्ति का संयुक्त रूप माना जाता है. शिवलिंग में इतनी ऊर्जा होती है कि उस ऊर्जा को शांत करने के लिए शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है. वो ऊर्जा शिवलिंग पर चढ़ने वाले जल में भी समाहित हो जाती है. शिवलिंग पर चढ़ने वाला जल बेहद पवित्र होता है. ये जल जलाधारी के जरिए बाहर निकलता है. इस जल में मौजूद शिवलिंग की ऊर्जा को आम आदमी बर्दाश्त नहीं कर सकता. यदि वो इस जलाधारी को लांघ ले, तो उसे कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए शास्त्रों में जलाधारी को न लांघने की बात कही गई है और इसीलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा लगाई जाती है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी समझें
अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो भी शिवलिंग अत्यंत शक्ति का प्रतीक है. शिवलिंग के आसपास के क्षेत्रों में रेडियो एक्टिव तत्वों के अंश भी पाए जाते हैं. एटॉमिक रिएक्टर सेंटर के आकार और शिवलिंग के आकार में भी काफी समानता देखने को मिलती है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति शिवलिंग पर चढ़े जल से युक्त जलाधारी को लांघने का प्रयास करे तो शिवलिंग की ऊर्जा व्यक्ति के पैरों के बीच से होकर उसके शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसकी वजह से व्यक्ति को वीर्य या रज संबन्धित शारीरिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है. इसलिए शास्त्रों में जलाधारी को लांघना घोर पाप बताया गया है.
Read More : IPL 2022: IPL 2022 का पहला मैच किस टीम के बीच खेला जाएगा?
इस स्थिति में की जा सकती है पूरी परिक्रमा
शिवलिंग की पूरी परिक्रमा केवल तब की जा सकती है, जब शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल सीधे भूमि में चला जाता हो या वहां जलाधारी को कवर करके ढक दिया गया हो. खुली जलाधारी कभी नहीं लांघनी चाहिए. लेकिन ढकी जलाधारी को लांघने से कोई दोष नहीं लगता.