Thursday, July 31, 2025
Homeधर्मरुई की बाती और कपूर से की गई आरती में अंतर और...

रुई की बाती और कपूर से की गई आरती में अंतर और महत्व

सनातन धर्म (Sanatan Dharm) में देवी देवता की पूजा और उसके बाद आरती का अत्यंत महत्व है. बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती है. और बिना पूजा के आरती नहीं की जा सकती. हर हिंदू के घर में भगवान की सुबह और शाम (Morning and Evening) दो टाइम आरती की जाती है. यह आरती भक्त रुई की बाती से घी या तेल का दीपक जलाकर या फिर कपूर से करते हैं. बाती और कपूर से की गई आरती (Kapoor aarti) का अपना अपना महत्व है. जिस घर में भगवान की दोनों समय पूजा अर्चना होती है वहां भगवान का वास होता है. ऐसी मान्यता है कि जो भगवान की पूजा करते हैं उन पर भगवान कोई संकट नहीं आने देते. आज हम जानेंगे दोनों तरह की आरती में क्या अंतर है और इनका क्या महत्व है.

बाती और कपूर से आरती में अंतर

भगवान के समक्ष रुई की बाती घी या तेल में भिगा कर तांबे या पीतल के दिए में प्रज्जवलित की जाती है. इसमें जितना घी या तेल होगा लौ उतनी अधिक देर तक जलेगी. वहीं कपूर की आरती में मिट्टी के दिये में या फिर पान के ऊपर शकर रख कर उस पर कपूर रख कर प्रज्जवलित किया जाता है. उससे भगवान की आरती की जाती है. कपूर की आरती बहुत देर तक नहीं जलती यह जल्दी ही शांत हो जाती है.

बाती से आरती का महत्व

घर में घी में बाती जला कर दिया लगाया जाता है, घी को समृद्धी का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि घी व्यक्ति के स्वभाव में रूखापन दूर कर स्नेह देता है. देवी देवताओं के समक्ष घी का दिया जलाने से व्यक्ति के जीवन में भी घी की तरह चिकनाहट आती है, सभी काम बड़ी ही सहजता के साथ बिना रुकावट के पूरे हो जाते हैं.

कपूर से आरती का महत्व

मान्यता है कि कपूर की गंध में तीखी होती है जो वातावरण में तेजी से फैल कर ब्रम्हाण्ड में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है. जिससे देवी देवता के लिए पूजन स्थल तक का मार्ग प्रशस्त होता है. पूजा के समय जलाया गया कपूर से निकला धुआं वातावरण में फैल कर भक्तों को ब्रह्मांडीय शक्ति से जोड़ता है.

भगवान की आरती करते समय पूरा ध्यान भगवान की भक्ति में होना चाहिए. घी की ज्योति को आत्मा की ज्योति समझ कर आरती करना चाहिए. एक दिन में एक से पांच बार आरती की जा सकती है. वहीं घर में सुबह और शाम, दो बार आरती की जाती है.

मान्यता के अनुसार आरती करने से पहले, ईश्वर को नमस्कार करके तीन बार पुष्प अर्पित करें. उसके बाद आरती करें. पूजा में विशेष रूप से पांच चीजों से आरती की जा है- धूप, दीप, कपूर, साफ-स्वच्छ कपड़े और पानी से. आरती हमेशा दोनों हथेलियों से लेनी चाहिए. मान्यता है कि माथे पर आरती लेने से भक्त भाग्यशाली महसूस करते हैं.

यूपी चुनाव 2022: एसपी सुप्रीमो ने जीतने पर 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने कि किया ऐलान 

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments