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Desh Ne Manaya Shaheedi Diwas
आज भारत में शहीदी दिवस मनाया जा रहा है आज ही के दिन भारत के वीर सपूत भगत सिंह समेत राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।
भारत के वीर क्रांतिकारियों के बारे में जितना भी कहा जाए कम है। भारत की आजादी के पीछे इन वीर सपूतों के बलिदान की कहानी स्वर्ण अक्षरों में चमकती हुई नजर आती है।
भारत की आजादी की गाथा जब भी लिखी जाती है तो इन शहीदों का वर्णन किए बिना वह गाथा अधूरी ही नजर आती है। Desh Ne Manaya Shaheedi Diwas , bhagat singh shaheedi diwas , shaheedi shahidi diwas kab manaya jaata hai , bhagat singh ki shaheedi kab manayi jaati hai , bhagat singh kab shaheed hue the
जब तक भारत और ब्रिटेन का वजूद इस विश्व में बना रहेगा तब तक भगत सिंह का नाम कभी भी धूमिल नहीं हो सकता।
यह वह नाम है जिसे सुनने के बाद हर भारतवासी में क्रान्ति की ज्वाला प्रज्वलित हो जाती है। यह वह नाम है जिसके उच्चारण से ही मातृभूमि के प्रति प्रेम झलक उठता है। Desh Ne Manaya Shaheedi Diwas , bhagat singh shaheedi diwas , shaheedi shahidi diwas kab manaya jaata hai , bhagat singh ki shaheedi kab manayi jaati hai , bhagat singh kab shaheed hue the
आज भी इनके नाम हीरे की तरह चमकते नज़र आते हैं
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90 वर्ष बाद भी इन वीरों के नाम किसी हीरे की तरह चमकते हुए नजर आते हैं यहां तक की हीरे की चमक भी इनके तेज के आगे फीकी नजर आती है।
“तू ना रोना के तू है भगत सिंह की मां मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं” यह मात्र कुछ शब्द नहीं है क्या कोई लाइन नहीं है बल्कि यह सच्चाई है। समय इन वीरों के नाम को भुलाने में भी असफल रहेगा।
यह वह अमर जवान हैं जिनकी शहादत से भारत की मिट्टी पावन हुई है। इन वीरों ने भारत की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दी थी।
उस समय अंग्रेजी हुकूमत भगत सिंह से इतनी ज्यादा खौफ़जदा थी कि तय समय से पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई थी। Desh Ne Manaya Shaheedi Diwas , bhagat singh shaheedi diwas , shaheedi shahidi diwas kab manaya jaata hai , bhagat singh ki shaheedi kab manayi jaati hai , bhagat singh kab shaheed hue the
भारत और पकिस्तान दोनों देश देते हैं शहीद का दर्जा
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भारत हो या पाकिस्तान भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को दोनों ही देशों में शहीद का दर्जा दिया जाता है। यह वीर वह जंगबाज से जो बेखौफ अंग्रेज सरकार के साथ कभी भी उलझने से घबराते नहीं थे। सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने का दोषी भी इन वीर सपूतों को ठहराया गया था।
असेंबली पर बम फेंकने की घटना 8 अप्रैल 1929 में हुई थी जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अंग्रेजी हुकूमत को नींद से जगाने के लिए सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। इनका मकसद किसी की हत्या करना नहीं बल्कि यह बताना था कि भारत आजाद होकर रहेगा और अंग्रेजों को यहां से जाना ही पड़ेगा।
यह सभी इस के अंजाम से बखूबी वाकिफ थे लेकिन इसके बाद ही वहां से भागने की कोशिश नहीं की। यहां तक कि तीनों वीरों ने बम फेंकने के बाद आजादी के नारे लगाए ,
शहीद भगत सिंह कब हुए थे गिरफ्तार ?
असेंबली में आजादी की मांग को लेकर पर्चे बांटे इस घटना के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और कोर्ट ने तीनों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी कोर्ट के इस फैसले पर हर स्तर पर जबरदस्त विरोध हुआ लेकिन तीनों वीरों की तरफ से एक भी लफ्ज़ विरोध का नहीं निकला। Desh Ne Manaya Shaheedi Diwas , bhagat singh shaheedi diwas , shaheedi shahidi diwas kab manaya jaata hai , bhagat singh ki shaheedi kab manayi jaati hai , bhagat singh kab shaheed hue the
क्योंकि भारत के इन वीर सपूतों को इस बात का जरा सा भी मलाल नहीं था कि उन्हें कुछ समय बाद फांसी दी जानी है बल्कि वह इस बात को लेकर खुश थे कि देश में जो आजादी अलख जगी है उसके बाद अंग्रेज सरकार ज्यादा समय तक बनी नहीं रह सकेगी और 1 दिन भारत आजादी की हवा में सांस लेगा और एक आजाद हिंद के रूप में जाना जाएगा।
भगत सिंह को कब सुनाई गयी फांसी ?
यह फांसी 24 मार्च 1931 को दी जानी थी लेकिन अंग्रेज भगत सिंह से इतने ज्यादा खौफ़जदा थे कि 24 की जगह 23 मार्च 1931 को ही लाहौर के सेंट्रल जेल में भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों को इन वीरों ने निछावर कर दिया था यानी आज ही के दिन इन्हें फांसी दे दी गई थी।
इसकी जानकारी इनके परिजनों को भी नहीं मिल सकी थी जिस वक्त इन तीनों को फांसी दी जा रही थी उस वक्त पूरा जेल आजादी के नारों से गूंज रहा था चारों और भारत की आजादी की हुंकार सुनाई पड़ रही थी।
जेलर के हाथ कांप रहे थे। लेकिन वीरों के चेहरे पर मौत का कोई डर नहीं था। अपनी आखिरी इच्छा में भगत सिंह ने हाथों को खोले जाने और आपस में गले मिलने की इजाजत मांगी थी जिसको पूरा किया गया था। जिसके बाद जल्लाद ने कांपते हाथों से लीवर खींचा। Desh Ne Manaya Shaheedi Diwas , bhagat singh shaheedi diwas , shaheedi shahidi diwas kab manaya jaata hai , bhagat singh ki shaheedi kab manayi jaati hai , bhagat singh kab shaheed hue the
तय समय से पहले फांसी दिए जाने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के जहन से भगत सिंह का डर नहीं निकला था। वह यह जानते थे कि , जब लोगों को इसका पता चलेगा तो हजारों लोग एकत्रित हो जाएंगे और उन्हें रोकना अंग्रेजी हुकूमत के बस की बात नहीं थी।
भारत के वीर शहीदों के बलिदान व्यर्थ नहीं गए आखिरकार भारत अंग्रेजी हुकूमत से आजाद होकर एक सशक्त भारत के रूप में उभर कर आया और आज भी भारत का इतिहास इन वीरों की गाथाओं से जगमगाता हुआ नजर आता है। भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी की चमक इन वीरों की कहानियों से ही निखर कर आती है।
Written By : Sheetal
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