डिजिटल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोरोनावायरस महामारी के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में देरी पर असंतोष व्यक्त किया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले में 11 सितंबर तक सहमति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट में दिया है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा, ‘हमने इस संबंध में बहुत पहले एक आदेश जारी किया है। हम पहले ही एक बार कार्यकाल बढ़ा चुके हैं। तदनुसार, जब आप दिशानिर्देश तैयार करने में सक्षम होते हैं, तो तीसरी लहर कोरोना वायरस महामारी आएगी और जाएगी।” हाँ।
वहीं, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया कि सब कुछ विचाराधीन है।
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता गौरव बंसल ने अदालत से कहा कि उप-न्यायाधीश होने का नाटक करके इसमें देरी नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने 16 अगस्त को केंद्र को मुआवजे के भुगतान के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए अतिरिक्त चार सप्ताह का समय दिया था, लेकिन केंद्र और समय मांग रहा है।
पीठ ने कहा कि यह केंद्र सरकार पर निर्भर है कि वह उस अवधि के भीतर मुआवजे पर फैसला करे। शीर्ष अदालत ने अपने जून 0 के फैसले में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर दिशा-निर्देश तैयार करे ताकि उन लोगों के परिवारों को मुआवजा दिया जा सके जो कोविड के कारण मारे गए थे।
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