Thursday, January 2, 2025
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कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने दिया सभी पदों से इस्तीफा

कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वे लंबे अर्से से पार्टी से नाराज चल रहे थे। वे पार्टी के अंदर बदलाव की मुहिम चलाने के समर्थक माने जाते थे। गुलाम नबी आजाद ने कुछ दिन पहले प्रचार समिति से भी इस्तीफा दे दिया था। गुलाम नबी आजाद ने पांच पेज का इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजा है। उन्होंने अपने इस्तीफे की चिट्ठी में लिखा-बहुत अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना रिश्ता तोड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में इस बात का उल्लेख किया है कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए।

यही नहीं कांग्रेस से 51 साल पुराना नाता तोड़ते हुए उन्होंने राहुल गांधी पर भी सीधा हमला बोला। गुलाम नबी आजाद ने इंदिरा गांधी से लेकर अब तक के दौर को याद दिलाते हुए सोनिया गांधी से कहा कि आपकी अध्यक्षता में पार्टी अच्छे से काम कर रही थी और सबसे मशविरा लिया जाता था। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस की यह व्यवस्था राहुल गांधी की 2013 में एंट्री के बाद खत्म होती चली गई।

‘राहुल गांधी के आने के बाद चापलूस दरबारियों को कमान’

गुलाम नबी आजाद ने लिखा, ‘दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई।’ गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। इसका अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश पर कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी।

जी-23 ग्रुप के नेताओं में काफी मुखर थे गुलाम नबी आजाद

गुलाम नबी आजाद की गिनती पार्टी के बेहद सीनियर नेताओं में होती थी और वे गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में एक माने जाते थे। लेकिन 2019 के बाद से पार्टी के अंदर बदलाव की आवाज उठने लगी और फिर जी-23 ग्रुप का उभार हुआ। इसमें वो नेता शामिल थे जो पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन की मांग उठा रहे थे। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद भी बेहद मुखर थे। इससे गांधी परिवार से उनकी दूरी बढ़ती जा रही थी।

राजनीति से संन्यास लेने का संकेत

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इसी संबंध में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से एक कार्यक्रम में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का संकेत दिया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा-‘हमको समाज में बदलाव लाना है। कभी-कभी मैं सोचता हूं, और कोई बड़ी बात नहीं है कि अचानक आप सुनें कि मैं रिटायर हो गया हूं और समाजसेवा में लग गया हूं।’

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