मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी को छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद अब जोर-शोर से मिशन 2024 की तैयारियों में जुटे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने दिल्ली का दौरा किया था और कई विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात की थी। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मुलाकात हुई। इन दोनों के बीच करीब दो घंटे तक मुख्यमंत्री आवास में बातचीत हुई | इस मुलाकात के दौरान पवन वर्मा भी साथ थे। बताया जाता है कि प्रशांत किशोर को साथ लाने की जिम्मेदारी पवन वर्मा को दी गई थी।
हालांकि इससे पहले प्रशांत किशोर अपने बयानों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार हमले कर रहे थे। प्रशांत और मुख्यमंत्री नीतीश दोनों ही एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2015 चुनाव के बाद प्रशांत को ऑफर दिया था कि वह पूरी तरह से अब सिर्फ जदयू के लिए काम करें, लेकिन तब उन्होंने इंकार कर दिया था। अब प्रशांत किशोर नई राजनीतिक पार्टी बनाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश जानते हैं कि इसका नुकसान आने वाले दिनों में उन्हें उठाना पड़ सकता है।
कहां से उठी बात ?
पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर लगातार एक दूसरे पर हमलावर हैं। दोनों एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में एक साथ आने की खबर तब से उठी है | जब से राज्यसभा के पूर्व सांसद पवन वर्मा ने पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और फिर प्रशांत किशोर से मुलाकात की। पूर्व आईएएस पवन वर्मा रिटायरमेंट के बाद जदयू में शामिल हुए थे। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर को जदयू में लाने के लिए पवन वर्मा की भूमिका काफी अहम थी। इसके बाद जब प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर किया गया तो पवन वर्मा को भी पार्टी से निकाल दिया गया था। इसके बाद पवन टीएमसी में शामिल हुए थे। अब उन्होंने टीएमसी भी छोड़ दी है। इसके बाद उन्होंने पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और फिर प्रशांत किशोर से भी मिलने पहुंचे।
एकसाथ लाने की कवायद
पवन वर्मा इस वक्त खाली हैं। एक बार राज्यसभा सांसद बनने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं भी बढ़ चुकी हैं। जदयू और टीएमसी दोनों से अभी बाहर चल रहे हैं। ऐसे में वह फिर से नई शुरुआत के लिए संभावना तलाश रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर पवन वर्मा ने उनका मूड टटोला हो और बाद में उनकी शर्तों की जानकारी प्रशांत किशोर को दी हो। पवन जानते हैं कि अभी बिहार में नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहने वाले हैं। ऐसे में संभव है कि वह प्रशांत किशोर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एकसाथ लाने के लिए रास्ता तैयार करने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात न बनने पर प्रशांत के पास गए हों
टीएमसी छोड़ने के बाद पवन वर्मा अपने राजनीतिक करियर को लेकर परेशान हैं। ऐसे में स्थिति ये हो सकती है कि पवन वर्मा जदयू में फिर से वापसी की कोशिश कर रहे हों। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की हो लेकिन बात न बनने पर वह प्रशांत किशोर के पास गए हों। ये भी हो सकता है कि जदयू में वापसी की संभावना न बनती देख पवन वर्मा नया राजनीतिक मोर्चा तैयार कर रहे प्रशांत किशोर के साथ आने की कोशिश में जुट गए हों।
एक दूसरे पर हमलावर हैं पीके और नीतीश
एक तरफ प्रशांत किशोर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक साथ आने की बात हो रही है दूसरी तरफ दोनों एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। हाल ही में पीके ने कहा था कि जिस नीतीश के लिए मैंने नारा दिया था वो अब पहले वाले नीतीश नहीं हैं। बिहार में बहार भी नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार जरूर कुर्सी पर हैं। इसलिए मैंने कहा कि उन्हें फेविकोल का ब्रांड एम्बेसडर बना देना चाहिए।
मुख्यमंत्री नीतीश को बताया था फेविकॉल’ का ब्रांड एंबेसडर
हालांकि इससे पहले प्रशांत किशोर अपने बयानों में नीतीश कुमार पर लगातार हमले कर रहे थे। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के बारे में कहा था कि उन्हें ‘फेविकॉल’ का ब्रांड एंबेसडर होना चाहिए। प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर फेविकॉल कंपनी वाले मुझसे मिलेंगे तो मैं उनको सलाह दूंगा कि नीतीश कुमार को अपना ब्रांड एंबेसडर बना लें। किसी की भी सरकार हो लेकिन वह कुर्सी से चिपके रहते हैं।
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