नई दिल्लीः वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे लोगों के लिए बड़ा सबक है। दिल्ली में ‘ओमीक्रोन’ संक्रमण का जो पहला मामला सामने आया है, उसमें वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके थे। डॉक्टरों का कहना है कि फुल वैक्सीनेशन के कारण ही मामूली लक्षण दिखाई दिए। यह साफ दिखाता है कि फुल वैक्सीनेशन कोरोना के बचाव में कितना जरूरी है। यह बीमारी को गंभीर होने से बचाता है। रविवार को कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने राजधानी में भी दस्तक दे दी। तंजानिया से दिल्ली आए 37 साल के एक व्यक्ति को ‘ओमीक्रोन’ से संक्रमित पाया गया है। यह राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के इस नए वेरिएंट से जुड़ा पहला और देश में पांचवां मामला है। लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के अधिकारियों ने बताया है कि मरीज का इस समय अस्पताल में ट्रीटमेंट चल रहा है। उसमें बीमारी के मामूली लक्षण हैं। इस व्यक्ति को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके थे।
फुल वैक्सीनेशन के बाद भी इंफेक्शन
फुल वैक्सीनेशन के बाद भी ओमीक्रोन लोगों को इंफेक्ट कर रहा है। दिल्ली वाले केस से पहले कर्नाटक में गुरुवार को ओमीक्रोन वेरिएंट के दो मामले पाए गए थे। राज्य में 66 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी नागरिक और बेंगलुरु के 46 साल के एक चिकित्सक को कोरोना के इस वेरिएंट से संक्रमित पाया गया था। इन दोनों लोगों का फुल वैक्सीनेशन हो चुका था। इसका मतलब यह है कि फुल वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना का नया वेरिएंट लोगों को इंफेक्ट कर रहा है। ऐसे में लोगों को खास एहतियात बरतने की जरूरत है।
किस तरह के लक्षण?
दिल्ली में जिस व्यक्ति को ओमीक्रोन वेरिएंट से संक्रमित पाया गया है, उसके गले में सूजन, बुखार और शरीर में दर्द जैसे संक्रमण के मामूली लक्षण हैं। उसे दो दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज ने पिछले कुछ दिन में किन स्थानों की यात्रा की है, इसका पता लगाया जा रहा है। उसके संपर्क में आए लोगों से संबंधित जानकारी भी जुटाई जा रही है।
वैक्सीन क्यों जरूरी?
डॉक्टरों का कहना है कि फुल वैक्सीनेशन के कारण ही ओमीक्रोन से संक्रमित दिल्ली में मिले मरीज में मामूली लक्षण दिखे हैं। यह इशारा करता है कि कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन कितनी जरूरी है। यह उन लोगों के लिए भी सबक है जो वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं या फिर दूसरी डोज लेने में हीलाहवाली कर रहे हैं।
सारा दरोमदार वैक्सीन और सही व्यवहार पर
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि ओमीक्रोन वेरिएंट को फैलने से रोकने का सबसे प्रभावी तरीका अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को प्रतिबंधित करना है। उन्होंने बताया कि ऐसा कहा जा रहा है कि ओमीक्रोन वेरिएंट के पूरी तरह असर दिखाने में वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा समय लग सकता है। इसका मतलब यह है कि हवाई अड्डे पर जांच के दौरान संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण का पता नहीं चलने की संभावना है। सभी मामले इससे प्रभावित अन्य देशों से जुड़े हैं।
जैन ने कहा कि इस बात की 99 फीसदी संभावना है कि मास्क कोरोना के सभी वेरिएंट्स से लोगों का बचाव कर सकता है। फिर भले ही वह अल्फा, बीटा हो या डेल्टा और ओमीक्रोन। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर जनवरी-फरवरी में आ सकती है। अगर हर कोई मास्क पहनता है, तो इसे रोका जा सकता है।
केंद्र सरकार ने किए हैं क्या उपाय?
केंद्र के अनुसार, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इजराइल को ‘जोखिम वाले देशों’ की लिस्ट में शामिल किया गया है। नए नियमों के अनुसार, ‘जोखिम वाले देशों’ से आने वाले यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूरी है। उन्हें टेस्ट का रिजल्ट आने के बाद ही एयरपोर्ट से जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा अन्य देशों से आने वाले दो फीसदी यात्रियों की जांच की जाएगी। इस जांच के लिए किसी भी यात्री के नमूने लिए जा सकते हैं।
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