एस्ट्रो डेस्क : गंगाजल को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और गुणी माना जाता है। इसी वजह से हिंदू धर्म की कोई भी पूजा गंगा जल के बिना अधूरी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गंगा का जल, जो लंबे समय तक धारण करने के बाद भी व्यर्थ हो जाता है, उसे छिड़कने से ही दुख, दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिल सकती है।
पूजा में गंगा जल का प्रयोग
हिंदू धर्म में, किसी भी पूजा या अन्य अच्छे काम से पहले शुद्ध मन और शुद्ध पानी से संकल्प करने की प्रथा है। ऐसे में किसी भी पूजा के लिए शुद्ध और पवित्र गंगा जल सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसी प्रकार गंगा जल का उपयोग देवताओं को शुद्ध करने या आत्मशुद्धि के लिए किया जाता है। चूंकि गंगाजी शिव के बालों के माध्यम से पृथ्वी पर पहुंचती हैं, इसलिए भगवान शिव की पूजा में गंगाजल को बहुत आवश्यक माना जाता है। श्रावण मास में भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए हर साल शिव भक्त कंवर लेकर बाहर आते हैं और पवित्र गंगा के जल से भरे अपने-अपने शिवधाम जाते हैं और गंगा जल से शिव का अभिषेक करते हैं।
गंगा जल से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे
यदि आप गंगा स्नान करने जा रहे हैं तो कभी भी चप्पल या जूते पहन कर गंगा में प्रवेश न करें।
गंगाजी को भूल भी जाएं तो भी न नहाएं और न ही कपड़े धोएं। गंगा स्नान के बाद अपने घर में एक गीला कपड़ा लाकर धो लें।
गंगाजी में खड़े होकर किसी से झूठ या गाली न दें।
गंगाजल को कभी भी अशुद्ध स्थान पर नहीं रखना चाहिए। गंगाजल को हमेशा घर के ईशान कोण में यानि पूजा स्थल के पास ही रखें। इसी तरह पवित्र गंगा के जल को हमेशा धातु के पात्र में रखें। गंगाजल को प्लास्टिक के बर्तनों में नहीं रखना चाहिए।
यदि किसी कारणवश आप इस कोरोना काल में गंगा के किनारे स्नान करने नहीं पहुंच पा रहे हैं तो विशेष अवसरों पर घर में रखे जल में थोड़ा सा गंगाजल से स्नान कर लें, नहीं तो तिज-उत्सव के अवसर पर। अगर आप इस उपाय को भक्ति के साथ करते हैं तो आपको गंगा स्नान का पूरा लाभ मिलेगा।
हो सके तो नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए प्रतिदिन या समय-समय पर अपने घर पर गंगाजल का छिड़काव करें। गंगाजल का यह उपाय आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनाए रखेगा।
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