भारत में लगातार आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने वाला पाकिस्तान अब अपने ही जाल में फंस चुका है। एक-एक कर उसके सभी प्रांतोंं से विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। जिस आतंकवाद और अलगाववाद का वह कभी खुलकर समर्थन करता था। आज वही अलगाववाद उसके लिए सिरदर्द बन गया है। बलोच लिबरेशन आर्मी लगातार पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजाद करने के लिए संघर्ष कर रही है। ताजा घटनाक्रम में उसने बलूचिस्तान के सुराब शहर पर अपना कब्जा जमा लिया है। चलिए, आपको बताते हैं कि यह पाकिस्तान के लिए इतना खतरनाक क्यों है और सुराब शहर की अहमियत क्यों है ?
पाकिस्तान के लिए सुराब शहर की अहमियत
बलूचिस्तान का सुराब शहर बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से सिर्फ 150 किलोमीटर दूर है। ऐसे में यह पाकिस्तान की सेना के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है। यह एक छोटा सा शहर है, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से अहम शहर है। बलोच आर्मी के कब्जे के बाद इसकी अहमियत काफी ज्यादा बढ़ गई है। यह क्वेटा-कराची हाईवे पर है। एक बार इस हाईवे को बंद किया जा चुका है, अब बीएलए ने इस शहर पर दोबारा कब्जा जमा लिया है। ऐसे में फिर से यह हाईवे बंद हो सकता है। जिससे पाकिस्तान सरकार की पकड़ इस इलाके पर कमजोर हो सकती है। सुराब, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के निकटवर्ती क्षेत्रों से जुड़ा है। ऐसे में इस शहर पर कब्जा होने से यहां से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी जा सकती है।
बैंकों में लूटपाट के साथ किया कब्जा
वही बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने बताया कि हमलावरों ने सरकारी कार्यालयों में तोड़फोड़ की, बैंक से नकदी लूटी और कई सरकारी अधिकारियों के आवासों को भी जला दिया। इस हमले में अतिरिक्त उपायुक्त (राजस्व) हिदायत बुलेदी बलूच की मौत हो गई। वह हमले के दौरान डटे रहे और गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हिदायत बुलेदी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने “चरमपंथियों से मुकाबला करते हुए असाधारण साहस और कर्तव्यनिष्ठा” का परिचय दिया।
बलूचिस्तान और पाकिस्तान का क्या है झगड़ा ?
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है (क्षेत्रफल के हिसाब से), जो दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह अफगानिस्तान, ईरान और अरब सागर की सीमा से लगा हुआ है। बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। खासकर गैस, तांबा, सोना, कोयला और यूरेनियम का भंडार है। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बलूचिस्तान एक अर्ध-स्वतंत्र राज्य (खान ऑफ कलात) था। बलूच नेताओं के अनुसार पाकिस्तान ने 1948 में जबरन बलूचिस्तान का विलय कर लिया। तभी से बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध और विद्रोह की शुरुआत हुई।
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