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राम मंदिर की जमीन के नीचे 200 फीट तक बालू और सरयू का पानी, चार IIT सुझाएंगे उपाय
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बोले , ‘किसी ने कल्पना नहीं की थी कि भगवान का जहां गर्भगृह बना है, वहां जमीन खोखली है, ठोस नहीं है.’ Aakhir Kyun Ruk Gaya
क्या है राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय का कहना
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय का कहना है की किसी ने कल्पना भी नही की थी की भगवान राम का जहाँ का जहाँ गर्भगृह बना है वहां ज़मीन खोखली है ,ठोस है ही नहीं
लखनऊ: Ram mandir:अयोध्या में जिस जगह पर राम मंदिर (Ram mandir in Ayodhya) का निर्माण कार्य चल रहा था ,वहां उसके नीचे 200 फीट तक बालू मिल रहा है और गर्भगृह से थोड़ी सी दूरी पर ज़मीन के नीचे सरयू का प्रवाह भी मिला है,
इसकी वजह से मंदिर की नींव भरने का काम रोक दिया गया है गया है. अब देश के चार IIT सहित सात नामचीन रिसर्च संस्थानों से कहा गया है कि वे यह बताएं कि ऐसी बालू और पानी वाली जमीन में ऐसी नीव कैसे डाली जाये जो 1000 सालों तक चले। Aakhir Kyun Ruk Gaya
उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में मंदिर निर्माण के तहत एक ‘मेकशिफ्ट टेंपल’ बनाया गया है. गर्भगृह जहां था, वहां से मूर्ति को हटा दिया गया है क्योंकि उस जगह से मंदिर निर्माण शुरू होना है। यहां एक खूबसूरत सा पर्दा लगा दिया गया है जिस पर ‘जय श्रीराम’ लिखा हुआ है। Aakhir Kyun Ruk Gaya
क्या है पूरी खबर
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जहां पहले रामलला की मूर्तियां रखी हुई थीं, अब उस जगह को मंदिर के निर्माण कार्य के लिए समतल कर दिया गया है. यहां मंदिर की नींव डालने के लिए 200 फीट तक मिट्टी की जांच में पता लगा है
कि ज़मीन के नीचे भुरभुरी बालू है और मंदिर के गर्भगृह वाली जगह के पश्चिम में कुछ ही दूरी पर जमीन से नीचे सरयू नदी का प्रवाह है. राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है, की ‘किसी ने कल्पना नहीं की थी कि भगवान का जहां गर्भगृह बना है,
वहां जमीन खोखली है, ठोस नहीं है।’ सरयू नदी यूं तो जमीन पर नहीं बहती हुई दूसरी जगह पर नजर आती है, लेकिन उसकी धारा जमीन के नीचे भी वहां आ रही है जिसके पास मंदिर का गर्भगृह बना हुआ है.
श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र की वेबसाइट पर भी इसका जिक्र किया गया है कि गर्भगृह के करीब पश्चिम में सरयू नदी का प्रवाह है. राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास बोले ,
की ‘ये लोग (इंजीनियर) चाहते थे कि ज़मीन के 100 फीट के नीचे से नींव उठाई जाए लेकिन 100 फीट के नीचे बालू और पानी मिला है जिससे यह कहा जा सकता है कि जो प्राचीन सरयू की धारा थी उस धारा का जल वहां मिला है इसलिए उस पर नींव उठाई नहीं जा सकती क्यूंकि अगर नीव उठायी जाएगी तो नीचे धंसने की आशंका है।
राममंदिर की नई डिजाइन के मद्देनज़र ,मंदिर अब पहले से अधिक बड़ा बनेगा, अब मंदिर, तीन मंजिल का होगा और हर मंजिल की उचाई 20 फीट की होगी।
जमीन से 16.5 फीट की उचाई पर फर्श होगा, लंबाई 360 फीट की रहेगी और चौड़ाई 335 फीट होगी। इसी तरह शिखर 161 फीट पर होगा. लाल पत्थरों से बनने वाले तीन मंजिल के इस मंदिर का जमीन पर अधिक भार रहेगा।
ट्रस्ट चाहता है कि यह मंदिर भूकंप के झटकों को झेल सके और 1000 साल तक चले इसलिए अब देश के सात नामी रिसर्च को यह काम सौंपा गया है कि ऐसी जमीन पर ये मंदिर कैसे बने? इसके लिए IIT दिल्ली, IIT मुंबई,IIT चेन्नई, IIT गुवाहाटी, CBRI रुड़की,लार्सन एंड ट्रुबो और टाटा के इंजीनियर भी इस पर रिसर्च कर रहे हैं।
क्या बोले राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास
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राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास बोले, ‘अच्छी तरह से विचार विमर्श करके जो किया जाता है, वह कभी भी गलत नहीं हो पाता इसलिए पूर्णतया सोच-विचार करके ही इस पर इंजीनियरों की राय ली जा रही है।’ अयोध्या, राम मंदिर का इंतजार कर रही है। इस नई अड़चन से लोग चिंतित तो हैं ही लेकिन उम्मीद है कि इंजीनियर जल्द ही इसका कोई समाधान निकाल लेंगे।
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