Friday, October 31, 2025
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खत्म हुआ इंतजार, आठवें वेतन आयोग को मिली केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी

करीब एक करोड़ से अधिक केंद्रीय वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए बड़ी खबर है। केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। जस्टिस रंजन आयोग के चेयरमैन होंगे, जबकि आईआईएम बेंगलुरू के प्रोफेसर पुलक घोष और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) के सचिव पंकज जैन को इसके सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।

इसके साथ ही पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई को आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस वार्ता में बताया कि आयोग को अपनी सिफारिशें 18 महीनों के भीतर प्रस्तुत करनी होंगी। सरकार का इरादा है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जाएं।

सिफारिशें भेजने के लिए 18 महीने का समय

आयोग अपनी सिफारिशें अगले 18 महीनों के भीतर सरकार को सौंपेगा। जिसके बाद वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी वर्ष 2027 से लागू हो सकती है। कैबिनेट की बैठक के बाद जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि आठवें वेतन आयोग के लिए टर्म ऑफ रेसरेंस को मंजूरी दी गई है। वेतन आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य (पार्ट टाइम) और एक सदस्यीय सेक्रेटरी होंगे। इसके गठन के बाद सिफारिशें भेजने के लिए वेतन आयोग को अठारह महीने का समय दिया गया है। एनसी-जीसीएम (स्टाफ साइड) सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि 8वें वेतन आयोग को लागू करने में भले ही देरी हो सकती है, लेकिन यह 1 जनवरी 2026 से ही प्रभावी माना जाएगा। यानी इसमें अगर देरी होती है तो फिर 1 जनवरी 2026 से स्टाफ को एरियर जोड़कर दिया जा सकता है।

2027 में एरियर के साथ बढ़ी सैलरी

इससे पहले जब सातवें वेतन आयोग को लागू किया गया था, उस समय भी देरी हुई थी और सभी कर्मचारियों और वेतनभोगियों को एरियर दिया गया था। केन्द्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को रिप्रजेंट करने वाले फोरम एनसी-जीसीएम की तरफ से जनवरी में ही केन्द्र सरकार को टर्म ऑफ रेफरेंस सौंपा जा चुका है। गौरतलब है कि देश में बढ़ती महंगाई और अन्य चीजों को देखते हुए हर 10 साल पर नए वेतन आयोग का गठन किया जाता है। जिसमें केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं को संशोधित किया जाता है। इस हिसाब से अगर देखा जाए तो 1 जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग को प्रभावी होना माना जाएगा।

क्या होता है टर्म ऑफ रेफरेंस

बता दें कि टर्म ऑफ रेफरेंस किसी आयोग, समिति या संस्था को काम करने के लिए सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश और दायरा होता है। सीधे शब्दों में कहें तो टर्म ऑफ रेफरेंस यह तय करते हैं कि कोई आयोग किस विषय पर काम करेगा, कितने समय में रिपोर्ट देगा और कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखेगा।

आयोग किन बातों का ध्यान रखेगा ?

वेतन आयोग अपनी सिफारिशें बनाते समय नीचे दी गई इन 5 बातों को खास ध्यान में रखेगा।

1.  देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता।

2.  यह सुनिश्चित करना कि विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध रहें।

3.  गैर-योगदान आधारित पेंशन योजनाओं की लागत पर विचार।

4.  राज्य सरकारों पर पड़ने वाले वित्तीय असर, क्योंकि राज्य सरकारें भी आमतौर पर केंद्र की सिफारिशों को अपनाती हैं।

5.  केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र (PSU) और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन, भत्तों और कार्य परिस्थितियों की तुलना।

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