देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार बनाम प्रवर्तन निदेशालय से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई कर रही थी। दरअसल, ईडी 1000 करोड़ रुपए के कथित घोटाले के सिलसिले में तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) के अधिकारियों के ठिकानों पर रेड मार रही थी। जिसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटायाया था और ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की।
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि यह तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) का मामला है, जो सरकारी कंपनी है। सिब्बल ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी सरकारी कंपनी पर छापेमारी कैसे हो सकती है ? उन्होंने अदालत को बताया कि कंपनी के प्रबंध निदेशकों पर छापेमारी हुई है। यहां तक कि प्रवर्तन निदेशालय ने सरकारी कंपनी के कंप्यूटर वगैरह जब्त कर लिए हैं, जो चौंकाने वाला है।
कपिल सिब्बल के क्या तर्क दिया ?
सिब्बल ने कहा, एक बार एफआईआर हो जाए, ईसीआईआर हो जाए तो यह मामला पल भर में बंद हो सकता है। हमें तय करना होगा कि क्या करना है और क्या नहीं… प्रवर्तन निदेशालय बेमतलब परेशान कर रहा है। इसके जवाब में ईडी की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत को बताया कि कुल 47 एफआईआर दर्ज हुए हैं, बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ हुई हैं। हम पूर्वनिर्धारित अपराधों पर और दर्ज अपराधों पर काम कर रहे हैं। कंपनी ने इन सभी अधिकारियों पर पैसा कैसे बहाया है, इसकी जांच कर रहे हैं और ये प्रक्रिया जांच का जरिया है। इसके साथ ही एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वहां बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।
कानून-व्यवस्था पर किसका नियंत्रण है – सीजेआई गवई
इस पर सीजेआई गवई ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा कि क्या स्थानीय पुलिस इस मामले की जांच नहीं कर सकती है ? तभी सिब्बल ने कहा कि राज्य पुलिस इस मामले में कदम उठा रही है और जांच कर रही है। तभी एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने फिर कहा कि यह बड़े पैमाने का भ्रष्टाचार है। इस पर सीजेआई गवई बिदक गए और पूछ डाला,फिर संघीय ढांचे का क्या होगा ? कानून-व्यवस्था पर किसका नियंत्रण है ? ये राज्य के अधिकार का अतिक्रमण नहीं है ? बार एंड बेंच के मुताबिक, इसी गरमागरम बहस के बीच एएसजी ने कहा कि यह कानून-व्यवस्था का मामला नहीं है।
इस पर सिब्बल ने अदालत को बताया कि अब तक 60 घंटे की तलाशी ली जा चुकी है और 42 में से 36 एफआईआर बंद हो चुकी हैं। इस पर सीजेआई गवई ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, “क्या यह किसी मामले की जाँच करने के राज्य के अधिकार का अतिक्रमण नहीं है ? जब भी आपको संदेह होगा कि राज्य जांच नहीं कर रहा है, तो आप खुद वहां पहुंच जाएंगे ?
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच पर लगी रोक
इसके बाद अदालत ने इस मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच पर तब तक के लिए रोक लगा दी, जब तक कि शीर्ष अदालत धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों से संबंधित एक समीक्षा याचिका पर फैसला नहीं कर लेती। बता दें कि मई में भी शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) के मुख्यालय पर छापेमारी के लिए ईडी की आलोचना की थी।
तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई और मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगा दी थी। इसने तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर हस्तक्षेप किया था जिसमें मद्रास हाई कोर्ट द्वारा ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग जांच जारी रखने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
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