महाठग संजय राय शेरपुरिया दिल्ली के एक बड़े उद्योगपति से छह करोड़ रुपये की डील में फंसा है। उद्योगपति का केंद्रीय जांच एजेंसी का केस रफादफा कराने का संजय ने ठेका लिया था। केंद्रीय जांच एजेंसी व नोएडा एसटीएफ को इसकी जानकारी हुई। तफ्तीश कर साक्ष्य जुटाए और मंगलवार को लखनऊ के विभूतिखंड इलाके से उसे दबोच लिया। एसटीएफ इंस्पेक्टर की तहरीर पर धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इस्तेमाल करने की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। अब उसका इतिहास खंगाला जा रहा है। कई बड़ी हस्तियां भी जांच की जद में आ गई हैं। संजय शेरपुरिया मूलरूप से गाजीपुर जिले का रहने वाला है।
महाठग है संजय शेरपुरिया
वर्तमान में वह दिल्ली में रहता है। गुजरात में बड़ा कारोबार रहा है। यूपी, दिल्ली व गुजरात में उसका नेटवर्क है। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, उद्योगपति गौरव डालमिया की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी कर रही है। गौरव किसी के जरिये संजय के संपर्क में आया। संजय शेरपुरिया ने दावा किया वह केंद्रीय जांच एजेंसी का मामला रफादफा करवा देगा। इसके लिए उसने गौरव से छह करोड़ की डील की। ये रकम संजय को पहुंच गई।
चूंकि केंद्रीय जांच एजेंसी पहले से ही प्रकरण में सक्रिय थी, इसलिए उसको इसकी भनक लग गई। एसटीएफ की नोएडा यूनिट को भी जानकारी दी गई। एसटीएफ ने अपने स्तर से तफ्तीश की। संजय शेरपुरिया के बैंक खातों का विवरण निकाला। उसके बाद तलाश शुरू की थी। गिरफ्तारी करने के बाद एसटीएफ के इंस्पेक्टर सचिन ने केस दर्ज कराया। महाठग संजय शेरपुरिया दिल्ली में राइडिंग क्लब में करोड़ों के बंगले में रहता है। ये बंगला एक महिला का है, जो कब्जे का है। आवास से संबंधित दस्तावेजों में संजय का कहीं पर भी नाम नहीं है। इसके बावजूद उसने अपना आलीशान आवास बना रखा है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग व चुनाव में टिकट दिलाने का ठेका लेता है संजय शेरपुरिया
संजय शेरपुरिया बड़ी-बड़ी डीलिंग वहीं पर बैठकर करता है। खासकर ट्रांसफर-पोस्टिंग व चुनाव में टिकट दिलाने का ठेका लेता है। जिसके एवज में वह मोटी रकम वसूलता है। लोगों को अपने विश्वास में लेने के लिए वीवीआईपी इलाके में रहता है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली आवास पर उसने एक फोटो गैलरी बना रखी है, जहां पर उसने अपनी दर्जनों फोटो लगा रखी हैं। इसमें वह अलग-अलग नेताओं व नामचीन हस्तियों के साथ है।
अब ये जांच का विषय है कि ये फोटो सही हैं या फिर एडिटेड हैं। अगर एसटीएफ या अन्य किसी एजेंसी ने इस पहलू पर जांच की तो तथ्य स्पष्ट हो सकेंगे। बड़े कामों की डील वह करता था और रकम नकद में लेता था। वह काम करवा पाता था या नहीं, इस बारे में अभी जानकारी नहीं है। ये जरूर है कि लोग उसके झांसे में आसानी से आ जाते थे। सत्ताधिकारी शीर्ष नेताओं में कोई ऐसा नहीं होगा, जिसके साथ उसकी फोटो न हो।
संजय शेरपुरिया ने मांगा था टिकट, खुद को बताया था भाजपा प्रभारी
2022 विधानसभा चुनाव में संजय राय गाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहता था। वह भाजपा से टिकट पाने की जद्दोजहद में लगा था। हालांकि उसको टिकट नहीं मिल पाया था। उस दौरान वह लंबे समय तक गाजीपुर में रुका था। पार्टी के कार्यकर्ता की तरह प्रचार-प्रसार में जुटा था। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान वह पीएम के संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करता था। वह खुद को उस संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बताता था।
एक तरह से वह बड़े नेताओं का करीबी होने का दावा किया करता था। इससे उस पर लोगों का विश्वास बनता रहे और ठगी का जाल फैलाता रहे। इंटेलीजेंस ने भी जुटाई जानकारी विभूतिखंड थाने में दर्ज एफआईआर में लिखा गया है कि इस संबंध में इंटेलीजेंस से भी सूचना मिली थी। मतलब संजय शेरपुरिया को लेकर इंटेलीजेंस भी लंबे समय से सक्रिय थी। वह उसकी कुंडली खंगाल रही थी। जब पुख्ता साक्ष्य सामने आए तो कार्रवाई के लिए एसटीएफ को इनपुट साझा किया।
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