Monday, December 23, 2024
Homeवायरलमहंगाई से परेशान जनता का 'बवाल' , आखिर कैसे हुआ लंका का...

महंगाई से परेशान जनता का ‘बवाल’ , आखिर कैसे हुआ लंका का इतना ‘बुरा हाल’!

श्रीलंका में जनता के मुश्किल दिन काफी पहले ही शुरू हो गए थे, लेकिन अब उनका गुस्सा चरम पर पहुंच गया है| लोग बीते कई महीनों से ऐसे हालात देख रहे हैं जब देश में खाने-पीने की जरूरी चीजों से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की किल्लत बनी हुई है| जानते हैं कि किन 5 वजहों से यहां ऐसे हालात बने कि त्रस्त जनता ने देश के राष्ट्रपति पर ही धावा बोल दिया|

आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में हालात अब इतने बुरे हो चुके हैं, कि महंगाई से परेशान जनता सड़कों पर  उतर आई है और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है | वहीं इस बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपना आवास छोड़कर भाग गए हैं | आखिर कैसे सोने की लंका इतनी कंगाली के स्तर पर पहुंच गई | आइए जानते हैं वजह |

महीनों से जरूरी चीजों की किल्लत

श्रीलंका  में जनता के मुश्किल दिन काफी पहले ही शुरू हो गए थे, लेकिन अब उनका गुस्सा चरम पर पहुंच गया है| लोग बीते कई महीनों से ऐसे देख रहे हैं जब देश में खाने-पीने की जरूरी चीजों से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की किल्लत बनी हुई है | सरकार को देश में आर्थिक आपातकाल लगाना पड़ा,  साथ ही सभी जरूरी सामान को जनता के बीच बांटने के लिए आर्मी लगाने की नौबत आ गई | आगे जानते हैं कि  किन 5 वजहों से ऐसे हालात बने|

लोगों का खेती से दूर होना

श्रीलंका में छाए संकट के बादलों की तात्कालिक वजह सरकार का वो निर्णय है, जिसमें सरकार ने देश को ऑर्गेनिक खेती का हब बनाने के लिए केमिकल फर्टिलाइजर्स को एक झटके में पूरी तरह से बैन कर दिया | अचानक हुए इस बदलाव ने श्रीलंका के एग्री सेक्टर  को तबाह कर दिया | एक अनुमान के मुताबिक सरकार के इस फैसले के चलते श्रीलंका का एग्री प्रोडक्शन आधा रह गया है | अभी हाल यह है कि देश में चावल और चीनी की भी किल्लत हो गई है | इन सबके ऊपर अनाज की जमाखोरी समस्या को और विकराल बना रही है | वहीं खेती करने वाली एक बड़ी आबादी ने इससे दूरी बना ली है |

Read More:जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से बाढ़ , यातायात बाधित

चीन के कर्ज का बोझ

दुनिया भर के एनालिस्ट जब चीन की ऋणपाश नीति  का जिक्र करते हैं, तो श्रीलंका का स्वाभाविक उदाहरण दिया जाता है | श्रीलंका के ऊपर अकेले चीन का ही 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा कर्ज है| वहीं भारत और जापान जैसे देशों के अलावा आईएमएफ  जैसे संस्थानों का भी लोन उधार है| सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था| आर्थिक संकटों से घिरे इस छोटे देश के ऊपर इस भारी-भरकम विदेशी कर्ज का ब्याज व किस्त चुकाने का भी बोझ है , जिसने हालात को और बिगाड़ा |

खाने-पीने की चीजों के लिए भी आयात पर निर्भरता

श्रीलंका की ताजी समस्या को गंभीर बनाने में आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर होना भी अहम फैक्टर है | श्रीलंका चीनी, दाल, अनाज, दवा जैसी जरूरी चीजों के लिए भी आयात पर निर्भर है | फर्टिलाइजर बैन ने इसे और गंभीर बनाने में योगदान दिया | अभी रूस और यूक्रेन की लड़ाई ने भी श्रीलंका की चुनौतियां बढ़ाई क्योंकि श्रीलंका चीनी, दलहन और अनाज आदि के मामले में इन 2 देशों पर काफी निर्भर है| इन एग्री कमॉडिटीज की कीमतें भी लड़ाई छिड़ने के बाद आसमान पर हैं |

Read More:BCCI से आया संदेश: ‘किसी को भी टीम से बाहर किया जा सकता है

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments