Saturday, October 25, 2025
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जन्नतुल बकी के पुनःनिर्माण को लेकर शिया मौलाना यासूब की अगवाई प्रदर्शन

लखनऊ : शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास के आह्वान पर आज को शहीद स्मारक पर सऊदी अरब हुकूमत के खिलाफ शिया समुदाय धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में शिया समुदाय अपने वरिष्ठ उलेमा के साथ शामिल होकर, सऊदी अरब में हजरत मोहम्मद (स.) की बेटी हजरत फातिमा (स.अ.) व इमामों के मजार गिराये जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। इसके अलावा प्रदर्शन में भारत सरकार को एक मांग पत्र भेजा जायेगा कि भारत, पवित्र जन्नतुल बकी के पुनःनिर्माण के लिए सऊदी सरकार पर कूटनीतिक दबाव बनाये। प्रदर्शनकारी जन्नतुल बकी के पुनःनिर्माण के लिये अपने खून से लिखकर एक पत्र भी दिल्ली स्थित सऊदी दूतावास भेजेगा।यासूब अब्बास ने सऊदी अरब में शियाओ पर हो रहे जुल्म भारत सरकार से दखल देने की अपील की।

जन्नतुल बकी का इतिहास और उसकी तबाही के ज़िम्मेदार

जन्नतुल बक़ीअ तारीख़े इस्लाम के जुमला मुहिम आसार में से एक है, अफ़सोस! बीती हुई सदी में जिसे वहाबियों ने 8 शव्वाल 1345 मुताबिक़ २१ अप्रैल  1925 को शहीद करके दूसरी कर्बला की दास्तान को लिख कर अपने यज़ीदी किरदार और अक़ीदे का वाज़ेह तौर पर इज़हार किया है।

क़ब्रिस्ताने बक़ीअ (जन्नतुल बक़ीअ) के तारीख़ को पढ़ने से मालूम होता है कि यह मक़बरा सदरे इस्लाम से बहुत ही मोहतरम का मुक़ाम रखता था। हज़रत रसूले ख़ुदा स॰ ने जब मदीना मुनव्वरा हिजरत की तो क़ब्रिस्तान बक़ीअ मुसलमानों का इकलौता क़ब्रिस्तान था और हिजरत से पहले मदीना मुनव्वरा के मुसलमान ‘‘बनी हराम’’ और ‘‘बनी सालिम’’ के मक़बरों में अपने मुर्दों को दफ़नाते थे और कभी कभार तो अपने ही घरों में मुर्दों को दफ़नाते थे और हिजरत के बाद रसूले ख़ुदा हज़रत मुहम्मद स॰ के हुक्म से बक़ीअ जिसका नाम ‘‘बक़ीउल ग़रक़द’’ भी है, मक़बरे के लिये मख़सूस हो गया।

जन्नतुल बक़ीअ हर एतबार से तारीख़ी, मुहिम और मुक़द्दस है। हज़रत रसूले ख़ुदा स॰ ने जंगे ओहद के कुछ शहीदों को और अपने बेटे ‘‘इब्राहीम’’ अ॰ को भी जन्नतुल बक़ीअ में दफ़नाया था। इसके अलावा मुहम्मद और आले मुहम्मद सलावातुल्लाहे अलैइहिम अजमईन के मकतब यानी मकतबे एहले बैत अ॰ के पैरोकारों के लिये बक़ीअ के साथ इस्लाम और ईमान जुड़े हुऐ हैं क्योंकि यहां पर पांच  मासूमीन अलै0 पहली जनाब ऐ फातिमा ज़हरा बीनते हज़रात मुहम्मद (s.अ.व) ,दूसरे इमाम हज़रत हसन बिन अली अलैहिस्सलाम, तीसरे  इमाम हज़रत अली बिन हुसैन ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम, चौथे  इमाम हज़रत मुहम्मद बिन अली अलबाक़र अलैहिस्सलाम, और पांचवे  इमाम हज़रत जाफ़र बिन सादिक़ अलैहिस्सलाम के दफ़्न होने की जगह है।

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