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भारतीय किसान यूनियन के किसान देश में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन, किसान महापंचायत और रैलियां कर रहे हैं।
किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले ले और देश के किसानों को राहत प्रदान करें, जिसके लिए किसान लगातार दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं साथ ही देश की अलग-अलग जगहों पर जाकर महापंचायत और रैलियां भी कर रहे हैं। Kya Sach Me Ab
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार कृषि कानून लागू करके किसानों का कोई भला नहीं कर रही बल्कि उनकी परेशानियां और बढ़ा रही है। और इधर लगातार पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दामों में भी बढ़ोतरी हो रही है जिस वजह से हाल ही में किसानों की तरफ से दूध के दाम ₹100 प्रति लीटर किए जाने की खबरें सामने आ रही थी जिस पर भारतीय किसान मोर्चा ने अपना एक बयान जारी किया है। Kya Sach Me Ab
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
दरअसल कुछ दिनों से सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा था जिसमें बताया जा रहा था कि अगर पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दाम कम नहीं किए जाते हैं तो किसान दूध के दाम ₹100 प्रति लीटर कर देंगे।
इस मैसेज के वायरल होते ही लोगों में भ्रम फैल गया और उन्होंने इस बात को हकीकत मान लिया। Kya Sach Me Ab
क्योंकि लोगों को लगा कि जब केंद्र सरकार किसानों द्वारा की जा रही मांगों को पूरा नहीं कर रही है और प्रतिदिन महंगाई बढ़ती जा रही है इसलिए किसानों ने भी केंद्र सरकार को चुनौती देने के लिए दूध के दामों में बढ़ोतरी कर दी होगी।
पर असली बात क्या है? किसान बढ़ाएंगे दूध के दाम?
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जब दूध के दामों में बढ़ोतरी वाली खबरें फैलने लगी तब भारतीय किसान मोर्चा ने इस पर अपना बयान जारी किया और कहा कि हमारी तरफ से किसी भी चीज के दामों में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। और इस वायरल मैसेज को उन्होंने अफवाह करार दिया और उन्होंने कहा कि लोगों को इस तरह की अफवाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
सरकारी कोऑपरेटिव सोसायटी के बारे में कही थी बात
साथ ही बात यह है कि सतरोल खाप पंचायत के प्रतिनिधि ने बताया कि हमने सरकारी कोऑपरेटिव सोसायटी को ₹100 प्रति लीटर दूध बेचने का फैसला किया है जिसका प्रभाव आम जनता पर नहीं होगा। Kya Sach Me Ab
उन्होंने कहा कि हमने डेयरी किसानों से अपील की है कि वह सरकारी को ऑपरेटिव सोसाइटी को इसी नाम पर दूध भेजें।लेकिन इसमें भारतीय किसान यूनियन और किसानों का कोई भी हस्तक्षेप नहीं है।
अफवाहों पर न दें ध्यान
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ऐसे में हमारा आपसे सिर्फ यही कहना है की किसी भी तरह की अफवाह को बिना जाने समझे दूसरों तक साझा ना करें क्योंकि यह ना सिर्फ लोगों को भ्रमित करती है बल्कि कभी-कभी या लोगों को बहुत भारी नुकसान भी पहुंचा देती है।
इसलिए,पहले किसी भी बात की पूरी तरह से जांच पड़ताल कर ले उसके बाद ही उस बात को आगे बढ़ाएं अन्यथा आपके साथ साथ और लोग भी इस भ्रम का शिकार होंगे। Kya Sach Me Ab
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