Monday, June 30, 2025
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सिख जवान भी पहन सकेंगे हेलमेट,पटके के ऊपर से पहना जा सकेगा, कई और खासियत

डिजिटल डेस्क : भारत में पहली बार सिख सैनिकों के लिए कॉम्बेट हेलमेट बनाया गया है। इसे पटके के ऊपर से पहना जा सकता है। यह हेलमेट न केवल हल्का है, बल्कि एंटी फंगल, और एंटी एलर्जिक भी है। कानपुर स्थित ग्लोबल डिफेंस एंड होमलैंड सिक्योरिटी कंपनी एमकेयू ने इसे डिजाइन किया है।कंपनी के मुताबिक, इस हेलमेट का मॉडल: कावरो एससीएच 111 टी है। इसे ‘वीर हेलमेट’ नाम दिया गया है। यह हेलमेट गोलियों और लेवल IIIA तक के टुकड़ों से सिर को बचाने में सक्षम है। इसमें मॉड्यूलर एक्सेसरी कनेक्टर सिस्टम (MACS) भी है।

MACS सिस्टम क्या है?
MACS मल्टी-एक्सेसरी माउंटिंग सिस्टम है, जो हेड-माउंटेड सेंसर और आधुनिक लड़ाकू उपकरण जैसे नाइट विजन गॉगल्स, हेलमेट पर कैमरे और कम्युनिकेशन के लिए होता है।

आरामदायक है हेलमेट
कपंनी ने बताया कि ‘वीर हेलमेट’ का डिजाइन ऐसा बनाया गया है कि सिख सैनिक आराम से अपनी पगड़ी के नीचे के कपड़े (पटके) के ऊपर पहन सकते हैं। हेलमेट का डिजाइन बोल्ट-मुक्त है, जो सेकेंडरी फ्रेग्मेंटेशन से बचाने के लिए है। यह बेहद आरामदायक है। यह हेलमेट शॉक प्रूफ और केमिकल सेफ है।

भारतीय सेना में भर्ती सिखों के लिए पहला हेलमेट
कपंनी का कहना है कि यह भारतीय सेना में भर्ती सिखों के लिए अपनी तरह का पहला हेलमेट है। इसे सिख सैनिकों की वीरता के लिए समर्पित किया गया है, क्योंकि सिख युवा बड़ी संख्या में सशस्त्र बल, केंद्रीय पुलिस और अर्धसैनिक बल में सेवा देते हैं।

एमकेयू के MD नीरज गुप्ता के अनुसार, ‘एक सिख के लिए पगड़ी उसका गौरव है। हमारी कंपनी की ओर से ‘वीर’ हेलमेट, वीर सिख सैनिकों के जीवन की रक्षा करने के लिए है। इससे उनकी धार्मिक भावनाएं भी आहत नहीं होगी।’

एमकेयू के चेयरमैन मनोज गुप्ता ने बताया कि हमने अपने सिख सैनिकों के सिर की सुरक्षा की जरूरत देखी। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इतना योगदान देने के बावजूद, सिख सैनिकों के पास बैलिस्टिक खतरों से बचने के लिए हेलमेट नहीं है, जिसे आराम से पहना जा सके। इसलिए हमने इसे बनाने का फैसला लिया।

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100 से ज्यादा देशों के लिए काम कर रही है एमकेयू कपंनी
एमकेयू भारत की उन कुछ कंपनियों में से एक है, जो 100 से अधिक देशों के सैन्य, अर्धसैनिक, पुलिस और विशेष बलों के लिए ऑप्ट्रोनिक और बैलिस्टिक सुरक्षा उपकरण बना चुकी है। उनके भारत और जर्मनी में ऑपरेशन हैं। यह अब तक 230 बलों में 3 मिलियन से अधिक सैनिकों और 3000+ प्लेटफार्मों को सुरक्षा प्रदान कर चुकी है।

 

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