Saturday, June 28, 2025
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 कब है रंगभरी एकादशी, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं भगवान शिव से संबंध

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह  के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है. इसे आमलकी एकादशी  भी कहते हैं. यह एक मात्र ऐसी एकादशी है, जिसका संबंध भगवान शिव से भी है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की ​विशेष पूजा काशी विश्वानाथ की नगरी वाराणसी में होती है. इस दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ नगर भ्रमण करते हैं और पूरी नगरी लाल गुलाल से रंग जाती है. इस दिन भगवान भोलेनाथ का स्वरुप देखकर हर शिवभक्त आनंदित हो जाता है. आइए जानते हैं रंगभरी एकादशी ति​थि, पूजा मुहूर्त  एवं महत्व  के बारे में.

रंगभरी एकादशी 2022 तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 मार्च दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 14 मार्च दिन सोमवार को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी 14 मार्च को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होगी. साथ ही भगवान भोलेनाथ और माता गौरा का भी पूजन होगा.

रंगभरी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा, जो रात 10 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. रंगभरी एकादशी को पुष्य नक्षत्र रात 10 बजकर 08 मिनट तक होगा. इस प्रकार से देखा जाएगा तो इस साल की रंगभरी एकादशी बहुत ही शुभ योग में है.

रंगभरी एकादशी के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है. इस दिन कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं, तो मुहूर्त में कर सकते हैं.

रंगभरी एकादशी का महत्व
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव पहली बार माता पार्वती को अपनी नगरी काशी में लेकर आए थे. कहा जाता है कि बाबा विश्वनाथ माता गौरा का गौना कराकर पहली बार काशी आए थे, तब उनका स्वागत रंग, गुलाल से हुआ था. इस वजह से हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता गौरा का धूमधाम से गौना कराया जाता है.

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत लाल गुलाल और फूलों से होता है. पूरे नगर में माता पार्वती और शिव जी की सवारी निकाली जाती है. वे दोनों नगर भ्रमण करते हैं. रंगभरी एकादशी को काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है.

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