डिजिटल डेस्क : ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेव में सबसे श्रेष्ठ भगवान शिव अपने भक्तों के द्वारा की गई पूजा अर्चना से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. स्वभाव से भोले, भगवान भोलेनाथ के 12 रूद्र अवतार हैं. जिनके बारे में धर्म शास्त्रों में उल्लेख मिलता है. इनमें से एक अवतार हनुमान का है. वैसे तो शिव पुराण में भगवान शिव के अनेक अवतार का वर्णन किया गया है. लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जिन्हें इस विषय में जानकारी है. आज की इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि वह क्या वजह थी जिसके कारण भगवान शिव को हनुमान का अवतार लेना पड़ा. आइए जानते हैं इससे जुड़ा प्रसंग.
शास्त्रों के अनुसार हनुमान का जन्म
शास्त्रों के अनुसार राम भक्त हनुमान के जन्म को लेकर दो तिथियों का उल्लेख मिलता है. इसमें पहला अवतार भगवान शिव का माना गया है. कहा जाता है कि राम भक्त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त करने के लिए उनकी घोर तपस्या की थी और वर मांगा था.
जिसके बाद भगवान शिव ने पवन देव के रूप में अपनी रुद्र शक्ति का अंश हवन कुंड में अर्पित कर दिया था. भगवान शिव द्वारा अर्पित की गई वही शक्ति माता अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई, और फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान का जन्म हुआ.
पौराणिक कथा के अनुसार
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने राम का अवतार रावण का अंत करने के लिए लिया था. यह वह समय था जब हर देवता ने भगवान राम की सेवा करने के लिए अलग-अलग अवतार लिए थे.
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हनुमान भगवान विष्णु के 11वें अवतार हैं
शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव ने उसी समय अपना रुद्र अवतार लिया था. इसके पीछे जो वजह बताई जाती है उसमें उल्लेख है कि भगवान विष्णु से भगवान शिव को दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था. हनुमान उनके 11वें रुद्र अवतार हैं. इस रूप में भगवान शिव ने राम की सेवा भी की और रावण के वध में उनकी मदद भी की थी.