Saturday, August 2, 2025
Homeधर्मरवि प्रदोष के दिन जरूर सुनें यह व्रत कथा, मिलेगा सुख और...

रवि प्रदोष के दिन जरूर सुनें यह व्रत कथा, मिलेगा सुख और आरोग्य

माघ माह (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी ति​थि को रवि प्रदोष व्रत है. यह व्रत 30 जनवरी दिन रविवार को है. यह जनवरी का अंतिम प्रदोष व्रत और माघ माह का पहला प्रदोष व्रत है. रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने और विधिपूर्वक व्रत रखने से सुख एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब चंद्र देव को श्राप के कारण कुष्ट रोग हो गया था, तो भगवान शिव की कृपा से वे दोष मुक्त हुए. उन्होंने प्रदोष व्रत ही किया था, जिससे वे आरोग्य प्राप्त कर पाए. प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय रवि प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए. व्रत कथा का श्रवण करने से व्रत का महत्व पता चलता है और व्रत का पूरा फल भी प्राप्त होता है. आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत की कथा के बारे में.

रवि प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था. उस ब्रह्मण की पत्नी प्रदोष व्रत विधिपूर्वक करती थी. एक दिन उस बेटा गांव से कहीं बाहर जा रहा था, तभी रास्ते में कुछ चोरों ने उसे घेर लिया. चोरों ने उसकी पोटली छीन ली और उससे अपने घर के गुप्त धन के बारे में बताने को कहा. बालक ने कहा कि पोटली में रोटी के अलावा कुछ नहीं है और उसका परिवार बहुत ही गरीब है, उसके घर में कोई गुप्त धन नहीं है.

चोरों ने उसे छोड़ दिया और आगे बढ़ गए. वह बालक नगर में एक बरगद के पेड़ के नीचे छाए में सो गया. तभी राजा के सिपाही चोरों को खोजते हुए वहां आए और उस बालक को ही चोर समझ कर ले जाकर जेल में बंद कर दिया.

सूर्यास्त के बाद भी जब बालक घर नहीं पहुंचा तो उसकी मां परेशान हो गई. उस दिन वह प्रदोष व्रत थी. उसने शिव पूजा के समय भोलेनाथ से प्रार्थना की कि उसका पुत्र कुशल हो, उसकी रक्षा करें. भगवान शिव ने उस मां की पुकार सुन ली. फिर शिव जी ने राजा को स्वप्न में बालक को जेल से मुक्त करने का आदेश दिया. साथ ही कहा कि वह बालक निर्दोष है, उसे बंदी बनाकर रखोगे, तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा.

अगले दिन सुबह राजा ने उस बालक को रिहा करने का आदेश दिया. बालक राजदरबार में आया और उसने पूरी घटना राजा को बताई. इस पर राजा ने उसे माता पिता को दरबार में बुलाया. ब्रह्माण परिवार दरबार में बुलाए जाने के आदेश डरा हुआ था. जैसे-तैसे वे राजा के दरबार में गए. राजा ने कहा कि आपका पुत्र निर्दोष है, उसे मुक्त कर दिया गया है. राजा ने ब्राह्मण परिवार की जीविका के लिए पांच गांव दान कर दिए.

भगवान शिव की कृपा से वह ब्राह्मण परिवार सुखीपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा. इस प्रकार से प्रदोष व्रत की महिमा का बखान किया गया है.

Read More : सपा ने एक और सूची जारी की , जिसमें 8 में से 3 उम्मीदवार महिलाएं हैं

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments