उज्जैनः धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान गरुड़ सर्पों यानी नागों के शत्रु हैं। कुछ चित्रों में भी गरुड़ देवता के पंजों में नागों को दबाए हुए दिखाया जाता है। पूजा के दौरान घर में उपयोग की जाने वाली घंटी गरुड़ देवता का ही स्वरूप है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान घंटी बजाने से कुंडली में स्थित कई तरह के दोष दूर होते हैं। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…
राहु-केतु हैं सर्प का रूप
ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। ऐसा भी माना जाता है कि राहु सर्प का मुंह है और केतु उसकी पूंछ। जब इन दोनों ग्रहों के बीच अन्य ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। ये दोष जिसकी कुंडली में होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसके हर कार्य में रुकावट आती है और जीवन में तनाव कि स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यही कारण है कि लोग राहु-केतु के नाम से घबराते हैं।
घंटी से है राहु-केतु का संबंध
ज्योतिषियों के अनुसार, पूजा के दौरान रोज घंटी बजाने से राहु और केतु का प्रकोप शांत होता है। पूजा के समय घंटी बजाने से कई प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मान्यता यह भी है कि घंटी बजाने से भगवान की पूजा सफल होती है। वो इसलिए क्योंकि घंटी भगवान गरुड़ का स्वरूप है और सभी नाग इनसे डरते हैं। घंटी बजाने से और भी कई फायदे होते हैं। यदि आपको राहु केतु के प्रकोप को शांत करना है तो पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली घंटी में गरुड़ का चिह्न होना चाहिए। जो व्यक्ति इस घंटी के साथ घर में पूजा करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को घंटी की ध्वनि प्रिय है। ऐसे में घर में रोजाना घंटी बजाने से भगवान विष्णु की कृपा रहती है। और भगवान विष्णु की आराधना के कारण राहु-केतु परेशान नहीं करते। इसलिए पूजा घर में रखी घंटी को देवता का वास माना जाता है।