उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के बागपत में पंचायत सचिव ने हरियाखेड़ा गांव की एक महिला को मरा हुआ दिखा दिया और इसके आधार पर उसकी पेंशन भी बंद कर दी गई। महिला एक साल से पेंशन के लिए चक्कर काटती रही लेकिन उसकी फरियाद नहीं सुनी गई। वह परेशान होकर डीएम के सामने पहुंची तो मामले का खुलासा हुआ। डीएम ने सचिव को नोटिस जारी कराकर जवाब मांगा है। साथ ही महिला की पेंशन शुरू करने के आदेश दिए। डीएम राजकमल यादव के सामने हरियाखेड़ा गांव की दो विधवा महिलाएं महेंद्री और शिमला पहुंची। दोनों ने बताया कि उसे हर माह 500 रुपये पेंशन मिलती थी। मगर, एक वर्ष से पेंशन बंद है। डीएम के पेंशन बंद होने का कारण पूछने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी तूलिका शर्मा ने बताया कि इसका सत्यापन कराया था, जिसमें महेंद्री की मौत हो गई है और शिमला गांव में नहीं रहती है। यह सुनकर डीएम हैरान रह गए कि उनके सामने खड़ी महिला महेंद्री की एक साल पहले मौत कैसे हो सकती है। इस पर डीएम ने छानबीन कराई तो पता चला कि पंचायत सचिव ने जांच में उसे मरा हुआ दिखाया और इसकी रिपोर्ट बनाकर भेजी हुई है। डीएम ने जिला प्रोबेशन अधिकारी तूलिका शर्मा को सत्यापन करने वाले पंचायत सचिव को नोटिस देकर जवाब तलब करने और दोनों विधवाओं की पेंशन बहाल कराने का आदेश दिया। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने हरियाखेड़ा गांव के तत्कालीन पंचायत सचिव प्रेम कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नोटिस मिलने पर पंचायत सचिव ने फोन पर दी सफाई
जिला प्रोबेशन अधिकारी तूलिका शर्मा ने बताया कि नोटिस मिलने के बाद पंचायत सचिव ने उनको फोन पर सफाई दी। बताया कि उन्होंने सत्यापन सही किया था। उनसे पूछा गया कि जब सत्यापन सही किया था तो कागजों में विधवा को मरा कैसे दिखाया गया। इस पर लिखित में स्पष्टीकरण देने को कहा है, जिसे डीएम के पास भेजा जाएगा।
विधवाओं की परेशानी बढ़ेगी, अन्य की जांच भी होगी
इस तरह पेंशन बंद होने के बाद विधवाओं की परेशानी बढ़ गई है। क्योंकि उनकी पेंशन बंद कर दी गई होगी। अब पेंशन शुरू करने के लिए दोबारा से प्रक्रिया शुरू करनी होगी। अगर पेंशन अभी रोकी गई होगी तो उसे पूरे भुगतान के साथ शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही अन्य पेंशन की जांच भी कराई जा रही है।
नौरोजपुर गुर्जर की महिला को थमा दिया गया था मृत्यु प्रमाण पत्र
एक साल पहले इस तरह ही बड़ी लापरवाही सामने आई थी। नौरोजपुर गुर्जर गांव की एक महिला ने पति की मौत के बाद पारिवारिक लाभ योजना से 30 हजार रुपये की सहायता लेने को आवेदन किया था। लेकिन तहसील प्रशासन ने सहायता दिलाने की जगह महिला को जांच रिपोर्ट में मरा बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र ही थमा दिया था।
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