एस्ट्रो डेस्क : गया में भस्मकूट पहाड़ी पर मां का स्तन गिरा, इसलिए इसका नाम शक्तिपीठ पड़ा। पालक के रूप में भी जाना जाता है। यहां आने वाले भक्त श्रद्धा और आस्था के साथ मां की पूजा करते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि यह देश के सबसे प्रसिद्ध बिजलीघरों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण और अन्य कार्यों में मिलता है। पूरे देश में तांत्रिक कार्यों में भी इस मंदिर को महत्व दिया जाता है।
कालिका पुराण के अनुसार गया में सती का वक्ष मंडल भस्मकूट पर्वत पर गिरकर दो पत्थरों में बदल गया। इस चट्टानी स्तन मंडल में माता सदैव रहती है, जो मनुष्य की चट्टान को छूते हैं, वे अमरत्व को प्राप्त करते हैं और ब्रह्मलोक में जाते हैं।
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मंगलगौरी आने वाले भक्तों का मानना है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती हैं। हालांकि मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ रहती है, मंदिर के पूरे नौ दिनों में चैत्र और शरद नवरात्रि के दौरान देखा जा सकता है। मंदिर का गर्भगृह काफी अंधेरा है, लेकिन यहां सालों से एक दीपक जल रहा है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह कभी नहीं बुझता।