एस्ट्रो डेस्कः आज 2 अक्टूबर 2021 को देश भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 152वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। उनका आदर्श आज भी हमारे जीवन का पथ है। इस खास दिन पर आइए जानते हैं बापुर के जीवन की एक कहानी, जो छोटे बच्चों के लिए महात्मा के प्रेम और सम्मान की एक ज्वलंत मिसाल है।
एक दोपहर महात्मा गांधी साबरमती में अपने आश्रम में थे। उनसे मिलने आश्रम का एक कर्मचारी आया। बापू के चेहरे पर उदासी की छाया देखता है, वह बहुत चिंतित और उदास महसूस करता है। वह बहुत डरा हुआ कुछ ढूंढ रहा है। यह देखकर कर्मचारी ने बापूजी से पूछा कि क्या हुआ था, बापू क्या ढूंढ़ रहे थे और किस बात ने उन्हें इतना चिंतित रखा, कर्मचारी ने जानना चाहा।
उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए महात्मा ने कहा, ‘मैं एक पेंसिल की तलाश में हूं। मुझे समझ नहीं आया कि पेंसिल बाद में कहाँ गई। क्या आप मुझे पेंसिल ढूंढ सकते हैं?’ बापू को इतनी छोटी पेंसिल ढूंढते देख वह आदमी बड़ा हैरान हुआ। उसे समझ में नहीं आता कि विषय को इतना महत्व क्यों दिया गया है। कर्मचारी ने गांधीजी से कहा, ‘बापू, अब दूसरी पेंसिल से लिखो, बाद में मिल जाएगा। अब शाम हो गई है, रोशनी मंद हो गई है।’ यह कह कर उसने एक और पेंसिल महात्मा की ओर बढ़ा दी।
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कर्मचारी की बातें सुनकर महात्मा गांधी ने उससे कहा, ‘तुम नहीं जानते, यह कोई साधारण पेंसिल नहीं है। मद्रास में श्रीमान मद्रास के बेटे ने मुझे यह पेंसिल दी। मैं इसे खो नहीं सकता।’ इतना कहकर वह फिर से पेंसिल की तलाश करने लगा। कुछ देर इधर-उधर खोजने के बाद बापू को पेंसिल मिली और तभी उन्हें शांति मिली।
लेकिन आप जानते हैं, वह पेंसिल सिर्फ एक इंच लंबी थी। छोटी पेंसिल की ओर इशारा करते हुए बापू ने कहा, ‘यह कोई साधारण पेंसिल नहीं है। एक बच्चे ने प्यार से मुझे उपहार के रूप में दिया। इसी में उनका जुनून और प्यार जुड़ा है।’ तब वह कार्यकर्ता समझ सकता है कि मोहनदास करमचंद गांधी देशवासियों के आदर्श ‘महात्मा’ क्यों हैं। एक छोटे बच्चे के छोटे से उपहार को इतना महत्व देना बच्चों के लिए उसके प्यार और सम्मान को दर्शाता है।