डिजिटल डेस्क : देश में फिर से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. महाराष्ट्र और दिल्ली कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। दिल्ली सरकार ने बढ़ते कोरोनर मामलों के मद्देनजर अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ा दी है। दिल्ली में घट रहा कोरोना बताता है कि दिल्ली में अस्पताल में दाखिले पिछले 15 दिनों में ढाई गुना बढ़े हैं. राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर 28 गुना बढ़ गई है.
आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या इस बार के मुकाबले काफी ज्यादा थी. दिल्ली सरकार के मुताबिक, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पताल में अब तक 11,211 बेड उपलब्ध कराए गए हैं, जिसमें से 876 बेड भरे जा चुके हैं. अभी भी 10335 रिक्तियां हैं।
अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए 3157 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं
कोरोना की दूसरी लहर से हुई तबाही के मद्देनजर सरकार ने गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए पहले ही ऑक्सीजन बेड उपलब्ध करा दिया है. दिल्ली के अस्पतालों को 10,561 ऑक्सीजन बेड उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें से अब तक 851 बेड भर्ती किए जा चुके हैं। दिल्ली के अस्पतालों में अभी भी 9710 ऑक्सीजन बेड खाली हैं। वहीं, गंभीर कोरोना के मरीजों के लिए 3158 आईसीयू बेड की व्यवस्था की गई है. इन आईसीयू बेड में से 228 बेड भरे जा चुके हैं और 2929 बेड अभी भी खाली हैं.
दिल्ली के अस्पतालों में फिलहाल 1334 वेंटिलेटर बेड खाली हैं
दिल्ली सरकार ने कोरोनर ओमाइक्रोन वैरिएंट के खतरों को देखते हुए वेंटिलेटर के साथ-साथ आईसीयू बेड भी उपलब्ध कराए हैं। कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकार ने 1412 बेड उपलब्ध कराए हैं, जिनमें से 6 बेड भरे जा चुके हैं और 1334 बेड अभी भी खाली हैं.
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राजधानी में कोरोना पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है
राष्ट्रीय राजधानी में अब तक कोरोना के 5481 नए मामले सामने आए हैं. जानकारी के साथ स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में संक्रमण दर 8.37 फीसदी पहुंच गई है. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी निजी अस्पतालों में 50 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित करने का फैसला किया है. सरकार ने कहा है कि जहां किसी अस्पताल या नर्सिंग होम में 50 से ज्यादा बेड हों, वहां 40 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित हों. इस बीच स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए साप्ताहिक अवकाश कर्फ्यू लगाने के फैसले को लॉकडाउन नहीं माना जाना चाहिए.