डिजिटल डेस्क : जब देश को अंग्रेजों ने गुलाम बनाया तो कई क्रांतिकारी आगे आए और देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई और ये लोग मरने से नहीं डरते थे और उनमें से एक थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। महात्मा गांधी ने हमेशा अहिंसा के मार्ग का अनुसरण किया और अंग्रेजों को लाठियों के साथ भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया। गांधीजी ने कई आंदोलन शुरू किए और अंग्रेजों से कहा कि वह देश को आजाद कराने से कम किसी चीज में विश्वास नहीं करेंगे। गांधीजी ने देश को आजाद कराने के लिए दिन-रात काम किया। उनकी देशभक्ति को देखकर सभी गांधी जी से जुड़ने लगे और फिर गांधी जी आगे थे और लोग पीछे। विश्व अहिंसा दिवस हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं? शायद नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं।
महात्मा गांधी के जीवन की बात करें तो उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने लंदन से कानून की पढ़ाई की और बैरिस्टर के रूप में भारत लौट आए। जब वे भारत आए तो उस समय भारत के हालात पर मोहित हो गए, फिर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। यहां उन्होंने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ दिया और उनका दम घुटने लगा।
यह आंदोलन चलाओ
1906 में, महात्मा गांधी ने ट्रांसवाल एशियाई पंजीकरण अधिनियम के खिलाफ पहला सत्याग्रह शुरू किया।
गांधीजी ने नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह शुरू किया, जहां उन्होंने अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक मार्च किया। इसके अलावा गांधीजी ने दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलन भी शुरू किए।
विश्व अहिंसा दिवस मनाने के पीछे ये है कारण
दरअसल, महात्मा गांधी का जन्म 1 अक्टूबर को पोरबंदर में हुआ था और इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। क्योंकि महात्मा गांधी अपने अहिंसक आंदोलन के लिए जाने जाते हैं और गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को दुनिया भर में विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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हर साल मनाई जाती है गांधी जयंती
2 अक्टूबर पूरे भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है और हर साल बापुर के सम्मान में मनाया जाता है। इस मौके पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने नई दिल्ली में राजघाट का दौरा किया और वहां की समाधि पर गांधीजी को पुष्पांजलि अर्पित की.