लखनऊ : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के बीच ट्विटर की तल्खी हकीकत में भी बरकरार है। सोमवार शाम एक शादी समारोह में दोनों का सामना हुआ, लेकिन सामान्य शिष्टाचार नहीं हुआ। अगल-बगल के सोफे पर बैठते वक्त मुस्कुराए जरूर, लेकिन बात नहीं हुई। यहां तक की वर-वधु को आशीर्वाद देने भी एक साथ मंच पर नहीं गए। मौका था पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव की भतीजी के शादी समारोह का। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर चार तस्वीरें शेयर की। फोटो में अखिलेश और शिवपाल अगल-बगल के सोफे पर बैठे हैं।
सूत्र बताते हैं कि समारोह में अखिलेश यादव पहले पहुंचे थे। कुछ देर बाद शिवपाल पहुंचे, लेकिन उनमें सामान्य शिष्टाचार भी नहीं हुआ।अखिलेश आशीर्वाद देने के लिए मंच पर जाने लगे तो कुछ लोगों ने शिवपाल को साथ चलने के लिए कहा। इस बीच अखिलेश कुछ देर वहां खड़े रहे। उम्मीद थी कि शिवपाल मंच तक साथ चलेंगे, लेकिन शिवपाल नहीं उठे। बैठे-बैठे ही तंज कसा कि अब तो वे अलग पार्टी के नेता हैं। इस पर अखिलेश मुस्कुराते हुए आशीर्वाद देने चले गए। अखिलेश के जाने के करीब आधे घंटे बाद तक शिवपाल पांडाल में रहे फिर वह वर-वधु को आशीर्वाद देने गए।
अब तो वो दूसरी पार्टी के नेता हैं
दूसरा बीजेपी या यह कहें कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति दूसरी पार्टी के कद्दावर नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाने के पीछे यह भी है कि, जो भी नेता दूसरी पार्टी से आएगा वो कुछ न कुछ वोट अपने साथ लाएगा, क्योंकि उनका व्यक्तिगत वोट बैंक भी होता है. जिससे पार्टी में वोट बढ़ेंगे ही और एक मैसेज यह भी जाएगा कि, हारने वाली पार्टी को ही अकसर नेता छोड़ते हैं. वह जीतने वाले की तरफ जाते हैं तो नेताओं के आने से जनता को यह लगेगा कि बीजेपी जीतने वाली पार्टी है और भविष्य भी इसी का है.
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