कहानी – अहमदी तुर्की के दार्शनिक थे। उनकी बातें बहुत गहरी थीं। जब भी कोई उनसे कोई सवाल पूछता, तो वह बिना किसी डर के जवाब देते। उस समय तैमूरलांग दासों को लेकर उनके साथ व्यापार करता था।वह भी उस स्थान पर मौजूद था जब दासों का व्यापार होता था।उन्हें एक-एक करके गुलामों को पालने का शौक था। इसी तरह, एक बार जब वह गुलामों को नीलामी के लिए लाया, तो अहमदी गलती से उन गुलामों में फंस गए।
तैमूरलंग अहमदी को जानते थे। उसने अहमदियों से कहा, ‘तुम्हारे साथ दो और गुलाम खड़े हैं। आप बहुत बुद्धिमान माने जाते हैं। लोगों ने मुझे आपके बारे में बहुत कुछ बताया है। यदि आप एक दार्शनिक हैं, तो मुझे बताओ, इन दोनों दासों की कीमत क्या होनी चाहिए?’
अहमदी ने कहा, “इन दोनों को देखकर मुझे लगता है कि ये बहुत ईमानदार, बुद्धिमान और बहुत मेहनती हैं। इन दोनों चार हजार अशरफियों की कीमत माननी ही पड़ेगी।जब उन्हें तैमूर अहमदी की बातें अच्छी लगीं तो उन्होंने कहा, ”आओ, तुमने गुलाम की कीमत कह दी.” अब कीमत बताओ।’तैमूर ने सोचा कि यह मुझे कुछ कीमत देगा, जो मैं आपको अगली बार बताऊंगा। अहमदी ने कहा, “अगर तुम पूछो तो मैं तुमसे कह रहा हूं, तुम्हारी कीमत दो अशरफों की है।”
यह सुनकर तैमूर गुस्से में आ गए और कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि मैंने जो चादर पहनी है उसकी कीमत दो अशरफियों की है।’अहमदी ने कहा, “मैंने इस शीट को देखकर आपकी कीमत चुकाई।” आप जैसी इंसानियत के दुश्मन की क्या कीमत हो सकती है।तैमूर को बहुत गुस्सा आया, लेकिन अहमदी की बहादुरी को देखकर वह आजाद हो गया।
कार्तिक मास के 3 प्रमुख व्रत पर्व: वैकुंठ चतुर्दशी 18 तारीख और कार्तिक पूर्णिमा 19 को
पाठ – किसी व्यक्ति की जांच करते समय, उसके कपड़ों और संसाधनों पर ध्यान न दें। किसी का न्याय करने के लिए, किसी को अपने कार्यों और स्वभाव पर ध्यान देना चाहिए।