सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के टुंडला में एक स्कूल मैदान पर चल रहे रामलीला उत्सव पर हाई कोर्ट ने रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने यह कहते हुए रामलीला उत्सव की अनुमति दे दी कि इससे छात्रों को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी समय में याचिका दायर करने वाले से भी सख्त सवाल-जवाब किए और पूछा कि आखिर यह उत्सव 100 सालों से उसी मैदान पर हो रहा है।
तो अब उसकी नींद क्यों टूटी है ? तीन जजों वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले पर जनहित याचिका दायर करने वाले मूल याचिकाकर्ता से पूछा कि यह उत्सव तो पिछले 100 सालों से होता आ रहा है। फिर अब आपने आखिरी समय में सुप्रीम कोर्ट का रुख क्यों किया ? आप पहले क्यों नहीं आए ?
पीठ और वकील के बीच तीखी बहस
इस पर मूल याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि रामलीला कं मंचन से स्कूल में पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। इस पर जस्टिस कांत ने फिर पूछा, लेकिन आप ना तो छात्र हैं, न ही छात्र के अभिभावक और न ही संपत्ति के मालिक हैं। फिर आपने जनहित याचिका क्यों डाली ? इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, अगर सभी धार्मिक त्योहार स्कूल के खेल के मैदान में ही मनाए जाएंगे। तो वहां बच्चे खेल भी नहीं सकते सीमेंट की ईंटें बिछाई जा रही हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि छात्र या अभिभावकों की शिकायतें कहाँ है ? और पहले से ही वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गईं ? जस्टिस सूर्यकांत देश के भावी सीजेआई हैं क्योंकि इस साल के अंत तक मौजूदा सीजेआई जस्टिस गवई के रिटायर होने के बाद पद संभालेंगे।
हाई कोर्ट ने क्या कहा था ?
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी जनहित याचिका पर विचार करते हुए पाया था कि स्कूल के खेल के मैदान में सीमेंट की इंटरलॉकिंग टाइलें बिछाई जा रही हैं। ताकि उसे रामलीला जैसे आयोजनों के लिए स्थायी स्थल बनाया जा सके। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि स्कूल के मुख्य द्वार का नाम बदलकर ‘सीता राम द्वार’ कर दिया गया है और झूले लगा दिए गए हैं। जिससे पढ़ाई प्रभावित हो सकती है और बच्चों को खेल के मैदान से वंचित होना पड़ सकता है। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ श्रीनगर रामलीला महोत्सव समिति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या बात और शर्त ?
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने रामलीला आयोजन समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के स्थगन आदेश पर रोक लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूँकि उत्सव शुरू हो चुके हैं। इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के पैरा 11 पर रोक लगाई जाती है। वहां इस शर्त के साथ उत्सव जारी रहेंगे कि बच्चे खेलना या खेल गतिविधियाँ जारी रखेंगे। हम हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह याचिकाकर्ता और अन्य सभी हितधारकों की बात सुनें।
राज्य के अधिकारियों ने बचाव करते हुए तर्क दिया था कि पिछले 100 वर्षों से वहाँ रामलीला का आयोजन होता आ रहा है और यह प्रतिदिन शाम सात से 10 बजे तक ही होता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि टाइलें जलभराव की समस्या से निपटने के लिए बिछाई गई थीं। उच्च न्यायालय ने इन तर्कों पर असहमति जताते हुए आयोजन के लिए स्कूल के मैदान के उपयोग पर रोक लगा दी थी।
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