द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश को आज नया राष्ट्रपति मिल गया | इस बीच द्रौपदी मुर्मू का एक पुराना इंटरव्यू भी सामने आया है | इसमें मुर्मू खुद बता रही हैं कि द्रौपदी उनका असली नाम नहीं है | यह नाम उनको स्कूल टीचर ने दिया था | जो कि महाभारत की द्रौपदी के नाम पर रखा गया था |
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, यह इंटरव्यू ओडिशा की एक वीडियो मैगजीन को कुछ वक्त पहले दिया गया | इंटरव्यू में मुर्मू ने बताया कि संथाली जो कि ओडिशा समेत कई राज्यों में बोली जाने वाली भाषा है उसके हिसाब से उनका नाम पुती था | इसे उनकी स्कूल टीचर ने बदल दिया था |
स्कूल टीचर ने बदला मुर्मू का नाम
खबर के मुताबिक, इंटरव्यू में मुर्मू ने कहा, ‘द्रौपदी मेरा असली नाम नहीं है | यह स्कूल टीचर ने दिया था | जो कि मयूरभंज में किसी दूसरे इलाके से पढ़ाने आती थीं |’ मुर्मू के मुताबिक, 1960 के दशक में मयूरभंज जिले में टीचर्स नहीं थे | इसलिए पढ़ाने के लिए टीचर बलसोर और कटक इलाके से आते थे | इंटरव्यू में मुर्मू ने कहा, ‘टीचर को मेरा पुराना नाम नहीं पसंद था | इसलिए उन्होंने इसे बदल दिया|’ मुर्मू ने बताया कि उनके नाम की स्पेलिंग भी ‘दुर्पादि ‘ फिर ‘द्रौपदी ‘ हुई |
मुर्मू ने सोमवार को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली | चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने उनको संसद के सेंट्रल हॉल में शपथ दिलाई | मुर्मू के रूप में देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिला है | 64 साल की मुर्मू भारतीय इतिहास की सबसे युवा प्रेसिडेंट भी हैं |
ओडिशा में हुआ था मुर्मू का जन्म
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 1958 में ओडिशा के मयूरभंज में हुआ था | 1979 में उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की थी | फिर 1997 में वह राजनीति में उतरीं और बीजेपी में शामिल हो गईं | इसी साल वह पार्षद बनीं | फिर 2000 में वह रायरंगपुर से विधायक चुनी गईं | उसी साल उनको ओडिशा की राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया| विधायक के तौर पर उन्होंने अच्छा काम किया था | इसलिए 2009 में वह दोबारा विधायक चुनी गईं | इसके बाद 2015-2021 तक वह झारखंड की राज्यपाल रहीं |
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