Thursday, November 21, 2024
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उठ रहे सवालो पर चुनाव आयोग ने दिया हर सवाल का जवाब

आम तौर पर चुनाव नतीजे आने के बाद ईवीएम और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही ईवीएम पर सवाल उठ गए। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों का ऐलान भले हो गया हो, उसका स्वागत भी है, लेकिन विरोधी दलों को ईवीएम पर भरोसा नहीं है क्योंकि जो हरियाणा में हुआ, वो महाराष्ट्र में भी हो सकता है। संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव में चुनाव आयोग को अपनी निष्पक्षता साबित करनी पड़ेगी।

भारत जैसी पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया नहीं – चुनाव आयुक्त राजीव कुमार

कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने भी यही आरोप दोहराया। उन्होंने कहा कि इज़रायल ने हिज़बुल्ला के पेजर हैक करके लेबनान में धमाके कर दिए, इज़रायल हैकिंग में माहिर हैं और मोदी के इज़रायल के साथ अच्छे रिश्ते हैं, इसलिए बीजेपी इज़रायल की मदद से ईवीएम भी हैक कर सकती है। राशिद अल्वी ने कहा कि महाराष्ट्र में सभी विपक्षी दलों को ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव की मांग करनी चाहिए।

लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ईवीएम और चुनाव प्रक्रिया पर उठे हर सवाल का विस्तार से जवाब दिया। राजीव कुमार ने कहा कि दुनिया में कहीं भी भारत जैसी पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया नहीं है, इसके बाद भी सवाल उठाने वाले हर बार नए-नए मुद्दे उठा लाते हैं। जो लोग पेजर की हैकिंग को ईवीएम से जोड़ रहे हैं, उन्हें इतना भी नहीं मालूम ईवीएम इंटरनेट या किसी सैटेलाइट से कनेक्ट नहीं होता। ऐसे लोगों को वह क्या जवाब दें ?

किसी शिकायत में कोई ठोस आरोप नहीं – चुनाव आयोग

चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जहां तक हरियाणा के चुनाव को लेकर की गई शिकायतों का सवाल है तो किसी शिकायत में कोई ठोस आरोप नहीं हैं। चुनाव आयोग हर शिकायत का अलग-अलग जवाब देगा। चूंकि हरियाणा में मतों की गिनती के दौरान ईवीएम की बैटरी को लेकर सवाल उठे थे, इस पर राजीव कुमार ने पूरी प्रक्रिया समझाई। उन्होंने कहा कि जब ईवीएम में बैटरी डाली जाती है, तो उस पर भी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के दस्तखत होते हैं, हर पोलिंग बूथ में भेजी गई ईवीएम के नंबर्स भी उम्मीदवारों को दिए जाते हैं। ईवीएम की सील जब भी खोली जाती है, उस वक्त भी उम्मीदवार मौजूद होते हैं। इसके बाद किसी तरह की हेराफेरी का सवाल कहां पैदा होता है ?

ईवीएम मशीन एक कैलकुलेटर की तरह – चुनाव आयोग

मेरी राय में, जो लोग चुनाव से पहले ही ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें बहुत सारे सवालों के जवाब देने होंगे – क्या लोकसभा चुनाव में ईवीएम ठीक था और हरियाणा में हैक हो गया? क्या कर्नाटक और हिमाचल में ईवीएम ने ठीक काम किया और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गड़बड़ हो गई ? ऐसी बातों पर कौन यकीन करेगा ? आज एक बार फिर बताना पड़ेगा कि ईवीएम मशीन एक कैलकुलेटर की तरह होती है। इसका इंटरनेट से ब्लूटूथ से, या किसी और रिमोट डिवाइस से कोई कनेक्शन नहीं होता। ईवीएम की बैटरी कितनी है, ये मशीन क्लोज़ करते समय फॉर्म में लिखा जाता है, जिसपर उम्मीदवार या उसके एजेंट के दस्तखत होते हैं।

ईवीएम मशीन का सवाल उठाना, बचकानी बात – चुनाव आयुक्त

दूसरी बात, इतने बड़े देश में जहां हजारों ईवीएम का इस्तेमाल होता है, जहां लाखों सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया से जुड़े होते हैं। कोई किसी मशीन की हैकिंग कैसे कर सकता है और अगर कोई हेराफेरी करे तो ये बात छुपी कैसे रह सकती है ? चुनाव में हार जीत होती रहती है पर अपनी हार के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराना या ईवीएम मशीन का सवाल उठाना, बचकानी बात लगती है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। अगर संवैधानिक संस्थाओं पर बिना सबूत के सवाल उठेंगे तो इससे हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा।

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