पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों हुई हिंसा की चर्चा पूरे देश में हुई थी। इस हिंसा के दौरान जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। इस दौरान 3 लोगों की हत्या भी हुई और कई लोग घायल हुए। घटना के बाद बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोगों ने पलायन किया था।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से एक उचित याचिका दाखिल करने को कहा है।
वकील ने कहा कि मुर्शिदाबाद ………
सुनवाई के दौरान वकील शशांक शेखर ने कहा- “पालघर साधुओं के मामले पर मैंने ही याचिका दायर की थी। यह मामला मानवाधिकारों के उल्लंघन का है और राज्य में कानून व्यवस्था बहुत खराब है।” सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आपको जानकारी कहां से मिली। क्या ये सही है। इस पर वकील ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है। वकील शशांक ने कहा कि वहां लोग सड़कों पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बहुत जल्दी में हैं। इस पर वकील ने कहा मुझे याचिका वापस लेकर संशोधन की मंजूरी दें।
याचिका दायर करते समय सावधान रहना होगा – सुप्रीम कोर्ट
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट रिकॉर्ड की अदालत है। भावी पीढ़ी देखेगी। आपको लगता है कि इसकी रिपोर्ट आदि की जाएगी, लेकिन आपको याचिका दायर करते समय या आदेश पारित करते समय सावधान रहना होगा। क्या इन कथनों का होना ज़रूरी है? हम बार के हर सदस्य का सम्मान करते हैं। लेकिन जिम्मेदारी की भावना के साथ।
सुप्रीम कोर्ट का उचित याचिका दाखिल करने का निर्देश
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुर्शिदाबाद में हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं से एक उचित याचिका दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने वकीलों को फटकार लगाई और कहा कि वकीलों को जिम्मेदारी के साथ उचित याचिकाएं दाखिल करने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपना मामला वापस लेने और बेहतर सामग्री और कथनों के साथ मामला दाखिल करने की स्वतंत्रता दी है।
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