डिजिटल डेस्क : यह गौतम बुद्ध के समय का है। एक बार वे कुरु नगर गए। लोग कहते थे कि रानी बहुत क्रूर थी। जब रानी को पता चला कि गौतम बुद्ध कुरु के पास आ रहे हैं, तो उन्होंने अपने सेवकों से कहा कि वे उनका अपमान करें।
बुद्ध ने जैसे ही कुरु नगर में प्रवेश किया, सेवकों ने शाप देना शुरू कर दिया। लेकिन बुद्ध शांत थे। यह बात उनके शिष्य आनंद को पसंद नहीं आई।उसने उनसे कहा, ‘हमें यहाँ से ऐसी जगह जाना चाहिए जहाँ कोई हमारे साथ बुरा व्यवहार न करे।’ बुद्ध ने कहा, ‘हम जहां भी जाएं, हमारा सम्मान नहीं किया जाना चाहिए। परन्तु यदि कोई अनादर करे, तो वह उस स्थान को तब तक न छोड़ेगा जब तक कि शान्ति स्थापित न हो जाए।’
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हमें युद्ध में बड़े हुए हाथी के समान व्यवहार करना चाहिए, जो चारों ओर बाण लिए हुए हो, उसी प्रकार दुष्टों के अपमान को भी सहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छे वे हैं जो खुद को नियंत्रित करते हैं। कभी किसी बात को लेकर उत्साहित न हों।