एस्ट्रो डेस्क : जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाना चाहते हैं, तो शत्रुओं से कभी मत घबराइए. ये तय है कि अगर आप तेजी से सफल होंगे तो आपके तमाम ज्ञात और अज्ञात शत्रु भी पैदा हो जाएंगे. ये शत्रु आपको मार्ग से हटाने का प्रयास करते हैं, आपकी योजनाओं में आपको असफल करने का प्रयास करते हैं. लेकिन इनसे परेशान होने की जरूरत नहीं है.
इन्हें प्रेरक मानिए और अपने को हर दिन मजबूत बनाइए और इन स्थितियों का डटकर मुकाबला कीजिए. इन शत्रुओं को जिंदगी का हिस्सा मानकर चलें और आगे बढ़ते रहें. आचार्य चाणक्य का भी ऐसा ही मानना था. आचार्य के जीवन में भी शत्रुओं की कोई कमी नहीं थी. लेकिन वे कभी उनसे डरे नहीं. हर वक्त खुद को उनका सामना करने के लिए तैयार रखा और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे. अगर आप भी जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देख रहे हैं तो शत्रुओं से निपटने के लिए आचार्य की तीन बातों को गांठ बांध लें. अगर आपने इन बातों को समझकर जीवन में उतार लिया तो आपका दुश्मन चाहकर भी आपको मात नहीं दे पाएगा.
1- शत्रु की ताकत को कम न आंकें
चाणक्य के अनुसार आप चाहे कितने ही बलवान क्यों न हों, लेकिन आपका शत्रु आपसे कम बलवान है, ये सोचने की भूल कभी न करें. दुश्मन को कमजोर समझेंगे तो कभी उसका सामना करने की ताकत नहीं जुटा पाएंगे. साथ ही बार बार मात भी खाएंगे. याद रखिए जो आपके विरोध में खड़ा है, उसके पास भी निश्चित रूप से आपकी ही तरह कई तरह की जानकारी जरूर होगी. हर संभव परिस्थिति का आकलन करें और उसके हिसाब से निपटने की तैयारी करें.
2- क्रोध में फैसला न लें
चाणक्य का मानना था कि क्रोध आपकी बुद्धि और विवेक को हर लेता है और आप ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से कोई न कोई गलती कर बैठते हैं. आपका शत्रु अक्सर आपको उत्तेजित करने की कोशिश करता है, ताकि आप क्रोधवश कोई भूल करें. इसी भूल का लाभ उठाकर वो आपको मात देता है. इसलिए कभी भी शत्रु का सामना करते समय अपना धैर्य न खोएं. सोच विचार करके कोई भी फैसला लें.
3- हिम्मत न हारें
चाणक्य का कहना था कि अगर आपका लक्ष्य बड़ा है, तो उसके लिए तैयारी भी बड़ी करनी होगी. ऐसे में अधिक समय लगना लाजमी है. इसलिए खुद को पहले इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें. कभी भी असफल होने पर परेशान न हों, बल्कि अपनी गलती को समझकर संभालने का प्रयास करें. धैर्य के साथ हर परिस्थिति का सामना कीजिए और अपना काम करते रहिए और लक्ष्य की ओर बढ़ते रहिए. यही सफलता का मूल मंत्र है.
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