डिजिटल डेस्क : दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी से हर एक व्यक्ति भयभीत है | जिसके चलते लोगों ने कई सावधानियां बरती तो वही कई लोगों ने लापरवाही भी की| दरअसल पहली लहर में कोरोना के कहर ने लोगो के मन में दहशत पैदा करदी उसके बावजूद कई लोग इस महामारी को नज़रअंदाज़ कर रहे थे | नए वैरिएंट्स आए और इलाज न मिलने की वजह से तबाही का मंज़र बन गया था |जिस कारण कई लोगों ने अपनों का साथ खोया तो वही कई लोगों ने मौत को करीब से देखा |
वही कुछ समय सख्ती से सावधानी बरतने से कोरोना का प्रभाव कम हो गया | हालाँकि स्वाथ्य विभाग लगातार इस बात की जानकारी दे रहा था की महामारी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई | लेकिन लोगों ने इस सुचना को नज़रअंदाज़ किया और फिरसे अपनी आम दिनचर्या पर जीने लगे न तो मास्क और न ही दो गज की दुरी का ध्यान रखा|वही अब अगर बात करे भारत की तो यहाँ पहली लहर के बाद जनता के साथ साथ सर्कार ने भी लापरवाही की |
कोरोना वैरिएंट्स का लोगों पर खासा प्रभाव
दरअसल कोरोना के कई वैरिएंट्स ने लोगों पर खासा प्रभाव डाला लेकिन वैज्ञानिकों ने उसका अध्यन कर बचने के उपाय बताए| लेकिन कोरोना के आए नए वेरिएंट डेल्टा को वैज्ञानिक जुलाई-अगस्त के महीने तक सबसे खतरनाक मान रहे थे। वही भारत में दूसरी लहर में तबाही मचाने के बाद कोरोना का डेल्टा वैरिएंट कई देशों के लिए बड़ी मुसीबत बन रहा था। डेल्टा वैरिएंट से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन कर ही रहे थे कि पिछले दिनों दो नए वैरिएंट्स सामने आए जिसने वैज्ञानिकों को गंभीर संकट में डाल दिया है। वहीं बीते दिनों आए कोरोना के दो नए वैरिएंट्स- साउथ अफ्रेकिन वैरिएंट सी.1.2 और म्यू (बी.1.621) ने दुनिया के सामने बड़ी चुनौती कड़ी करदी है| दरअसल कई रिपोर्टस में यह दावा किया जा रहा है कि दोनों वैरिएंट्स सबसे घातक माने जा रहे और डेल्टा वैरिएंट्स से भी अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि वह कोरोना के इन नए वैरिएंट्स की प्रकृति पर नजर रखे हुए है।म्यू को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में छांटा गया है। साथ ही डब्ल्यूएचओ ने कहा कि म्यू वेरिएंट में ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं जो शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकते हैं,साउथ अफ्रेकिन वैरिएंट भी कमोबेश ऐसी ही प्रकृति वाला बताया जा रहा है।
अब इन दोनों नए वैरिएंट्स के बारे में विस्तार से जानते हैं :
म्यू वैरिएंट
कोरोना का म्यू वैरिएंट सबसे पहले इस साल जनवरी में कोलंबिया में सामने आया था। डब्ल्यूएचओ ने म्यू वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में छांटा है | जिसका मतलब है कि स्वास्थ्य संगठन इस वैरिएंट की प्रकृति पर चरणबद्ध तरीके से निगरानी करेगी।डब्ल्यूएचओ ने अपने साप्ताहिक महामारी बुलेटिन में म्यू वैरिएंट के बारे में बताया कि इसमें कई ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं जो वैक्सीन के प्रतिरोध को मात देने की क्षमता रखते हैं, हालांकि इस बारे में विस्तार से जानने के लिए अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही बताया कि यह नया वैरिएंट इम्यून सिस्टम को मात दे सकता है।
साउथ अफ्रीकन वैरिएंट सी.1 . 2
दुनिया में डेल्टा के बढ़ते मामलों के बीच पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने कोरोना के नए वैरिएंट सी.1.2 के बारे में लोगों को सूचित किया था। दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज और क्वाज़ुलु-नेटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म के शोधकर्ताओं ने बताया है कि यह वैरिएंट सबसे पहले इस साल मई में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया है। वहीँ कोरोना का यह वैरिएंट अगस्त तक कई अन्य देशों में भी फैल चुका है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वैरिएंट में N440K और Y449H जैसे म्यूटेशनों का पता चला है और यह म्यूटेशन शरीर में बनीं प्रतिरक्षा को आसानी से मात देने की क्षमता रखते हैं। इस आधार पर इस नए वैरिएंट को वैज्ञानिक काफी चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं।
क्या भारत में भी मिले नए वैरिएंट के केस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी डाटा में अभी भारत में इन दोनों वेरिएंट्स के मिलने की कोई जानकारी नहीं है हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि भारत को भी इनवेरिएंट के खतरे को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि दोनों वेरिएंट्स में ऐसे म्यूटेशन पाए गए हैं जो कि शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को मार सकते हैं ऐसे में इन को लेकर अलर्ट रहना आवश्यक है|
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