राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने पर जर्मनी की सरकार ने बयान जारी किया है। जारी अपने बयान में जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विपक्षी नेता राहुल गांधी के मामले में न्यायिक स्वतंत्रता के मानक और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत लागू होने चाहिए। बता दें कि राहुल गांधी मामले पर किसी यूरोपीय देश की यह पहली प्रतिक्रिया है। इससे पहले अमेरिका ने भी राहुल गांधी मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
क्या था मामला
बता दें कि मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई है। साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया था। बीते दिनों सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई। दो साल की सजा होने के बाद कानून के मुताबिक राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई। फिलहाल राहुल गांधी जमानत पर जेल से बाहर हैं।
जर्मनी ने क्या की टिप्पणी
जर्मन विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा हमने भारतीय विपक्षी राजनेता राहुल गांधी के खिलाफ आए फैसले के साथ-साथ उनके संसदीय जनादेश के निलंबन पर भी ध्यान दिया है। हमारी जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी फैसले के खिलाफ अपील करने की स्थिति में हैं। अपील से साफ होगा कि कि फैसला कायम रहेगा या नहीं और सदस्यता निलंबन का आधार है या नहीं। हम उम्मीद करते हैं कि न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के मानकों को लागू किया जाएगा। जर्मनी के विदेश मंत्रालय के बयान के बाद अभी तक भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस बात पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
अमेरिका ने भी की थी टिप्पणी ?
इस मामले पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि अमेरिका भारत के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका अपने भारतीय भागीदारों के साथ हमारे संबंधों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर भारत सरकार के साथ है। उन्होंने कहा था कि कानून और शासन और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए सम्मान किसी भी लोकतंत्र की आधारशिला है। इस मामले को हम भारतीय अदालतों में देख रहे हैं।
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