गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है| सूबे में 27 सालों से कांग्रेस सत्ता के वनवास झेल रही है| ऐसे में गुजरात की सियासी जंग फतह करने के लिए कांग्रेस ने सूबे में सात कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए हैं, जिसमें दलित, ओबीसी, पटेल, क्षत्रिय और मुस्लिम समुदाय के नेताओं को जगह दी गई|कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष के जरिए गुजरात में अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले से 2022 के विधानसभा चुनाव को जीतने की रणनीति बनाई है|
आदिवासी समुदाय से आने वाले विधायक सुखराम राठवा को गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस ने बना रखा है तो ओबीसी समाज के जगदीश ठाकोर के हाथों में गुजरात की कमान है| वहीं, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने गुजरात में 7 कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए हैं| जिग्नेश मेवानी, ललित कागाथरा, रित्विक मकवाना, अंबरीश डेर, हिम्मत सिंह पटेल, कादिर पीरजादा और इंद्रविजय सिंह गोहिल को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया है|
दलित नेता मेवानी का मिला जिम्मा
गुजरात में दलित नेता के तौर पर अपनी पहचान बना चुके जिग्नेश मेवानी अब कांग्रेस के साथ हैं. ऐसे में कांग्रेस उन्हें गुजरात का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है | जिग्नेश मेवानी युवा होने के साथ-साथ में फॉयर ब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैं| ऐसे में पार्टी अब उनके जरिए दलित मतों को साधने की कवायद में है | ऐसे में चुनाव से पहले कार्यकारी नियुक्त कर दलित समुदाय को बड़ा सियासी संदेश देने का दांव माना जा रहा है, क्योंकि दलित राजनीति में सब से वो अहम नेता के तौर पर एक चहरा बन चुके हैं|
मुस्लिम वोटबैंक पर कांग्रेस की निगाहें
गुजरात में कांग्रेस मुस्लिम वोटबैंक पर हर हाल में पकड़ बनाए रखना चाहती है, जिसमें सेंधमारी के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM हरसंभव कोशिश में जुटी है| ऐसी स्थित में कांग्रेस मुस्लिम वोटों को लेकर किसी तरह कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है, जिसके लिए कादिर पीरजादा को गुजरात का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर बड़ा सियासी संदेश दिया है| अहमद पटेल के रहते हुए कांग्रेस मुस्लिम वोटों को लेकर फ्रिकमंद नहीं रहती थी, लेकिन अब उनके निधन के बाद कांग्रेस एक मुस्लिम चेहरे की दरकार थी|
Read More:प्रेमी ने रेता गाला, कानपुर में डबल मर्डर में चौंकाने वाले खुलासे