Wednesday, April 9, 2025
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अमेरिका ने भारत के लिए उठाया बड़ा कदम

अमेरिका प्रतिनिधि सभा यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव  में भारत के पक्ष में एक बड़ा फैसला लिया गया है | प्रतिनिधि सभा ने नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट एनडीएए में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है |

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने चीन से भारत की सुरक्षा को खतरा बताते हुए नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनडीएए) में संशोधन की मांग की थी , जिसे प्रतिनिधि सभा में मंजूरी दे दी गई है | इस संशोधन के तहत रो खन्ना ने ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट ‘ (CAATSA) के तहत भारत को प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव रखा था |

रूस को क्या होगा लाभ

यूक्रेन युद्ध के बाद से डेमोक्रेट्स और रिपब्लकिन के कुछ वर्गों ने CAATSA का इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी ताकि रूस को आर्थिक तौर पर चोट पहुंचाई जा सके | दरअसल भारत ने रूस से एस-500 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदा था | इसके बाद से CAATSA के तहत इस एक्ट के तहत कार्रवाई पर विचार किया जा रहा था |

भारत ने एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए अक्टूबर 2018 में रूस के साथ पांच अरब डॉलर का सौदा किया था | उस समय ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी भी दी थी कि इस सौदे को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है |

बता दें कि इस साल की शुरुआत में रूस से एस-400 मिसाइल खरीदने के लिए भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी थी | यह मांग तेज होने पर रिपब्लिकन पार्टी के सांसद टेड क्रूज को यह कहना पड़ा था कि इस सौदे को लेकर भारत पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाना मूर्खता होगी |

क्या है सीएएटीएसए कानून

CAATSA कानून के तहत अमेरिका ने ईरान , रूस और उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं | यह कानून अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों को इन तीनों देशों के साथ द्विपक्षीय कारोबार करने से रोकता है | इसे 27 जुलाई 2017 को पारित किया गया था | भारत ने रूस से एस-400 समेत कई रक्षा सौदे किए हैं जिसकी वजह से सीएएटीएसए के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है | रो खन्ना ने भारत और अमेरिका के बीच गहराते रक्षा संबंधों का हवाला देते हुए संशोधन का प्रस्ताव रखा था , जिसे हरी झंडी दे दी गई | प्रतिनिधि सभा में इसे ध्वनिमत से पारित किया गया | हालांकि , मंजूरी के बाद अभी यह कानून का हिस्सा नहीं बन पाया है | कानून बनने के लिए इसका संसद के दोनों सदनों में पारित होना जरूरी है |

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