Friday, August 1, 2025
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मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी आरोपी बरी

मालेगांव बम धमाके के केस में 18 साल बाद फैसला आया है। स्पेशल एनआईए कोर्ट ने इस केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी और सुधाकर द्विवेदी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में फैसला सुनाते हुए जज एके लाहोटी ने कहा कि इस केस की जांच में पर्याप्त सबूत नहीं दिए गए।

ऐसे में इन सभी आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूतों के अभाव में उन्हें बरी किया जाता है। जज लाहोटी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं हो सकता। दरअसल इस केस में अदालत ने साफ किया कि कौन से ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब नहीं मिले और आरोपियों को बरी किया जा रहा है।

कैसे कर्नल पुरोहित भी अदालत में निकले पाक-साफ

यह भी पुष्टि नहीं हो सकी कि आरडीएक्स कश्मीर से लाया गया था और उससे एक बम कर्नल पुरोहित ने बनाया था। कर्नल पुरोहित और अन्य लोगों के बीच पैसों का लेनदेन हुआ है। लेकिन इस पैसे को आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल करने के प्रमाण नहीं मिले। अब तक की जानकारी के अनुसार वह पैसा कर्नल पुरोहित ने घर बनवाने और एलआईसी भरने में लगाया था। पुरोहित के भी अन्य लोगों के साथ मिलकर किसी तरह की साजिश रचने के सबूत नहीं मिले हैं।

विश्वास फिर से बहाल करने के लिए धन्यवाद – कर्नल पुरोहित

लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने अदालत में कहा, “मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे उसी दृढ़ विश्वास के साथ अपने देश और अपने संगठन की सेवा करने का मौका दिया, जैसा मैं इस मामले में फंसाए जाने से पहले कर रहा था। मैं इसके लिए किसी संगठन को दोष नहीं देता। जांच एजेंसियों जैसे संगठन गलत नहीं हैं, लेकिन संगठन के अंदर के लोग ही गलत हैं। मैं आपको व्यवस्था में आम आदमी का विश्वास फिर से बहाल करने के लिए धन्यवाद देता हूं।

साध्वी प्रज्ञा को अदालत ने किन दलीलों पर दी क्लीन चिट

अदालत ने कहा कि जिस बाइक को साध्वी प्रज्ञा का बताया गया। वह उनकी ही है, यह साबित करने में जांच एजेंसियां फेल रही हैं। उस बाइक का चेसिस नंबर क्या था। यह भी कभी पूरी तरह पता नहीं चल सका। इस धमाके से दो साल पहले ही साध्वी प्रज्ञा संन्यासी बनी थीं। ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया गया कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर कोई साजिश रची थी।

कोर्ट के फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा का आया बयान

एनआईए कोर्ट में न्यायाधीश को संबोधित करते हुए साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कहा, “मैंने शुरू से ही कहा है कि जिन्हें जांच के लिए बुलाया जाता है, उसके पीछे कोई आधार होना चाहिए। मुझे उन्होंने जांच के लिए बुलाया, गिरफ्तार किया और प्रताड़ित किया। इससे मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया। मैं एक साधु का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आरोपी बनाया गया और कोई भी स्वेच्छा से हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। मैं जीवित इसलिए हूं, क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। उन्होंने एक साजिश के तहत भगवा को बदनाम किया। आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है और जो दोषी हैं उन्हें भगवान सजा देंगे। हालांकि, जिन्होंने भारत और भगवा को बदनाम किया है, उन्हें आपने गलत साबित नहीं किया है।

ऐसे 7 अहम सवाल हैं, जिनका जवाब जांच एजेंसियों की ओर से नहीं दिया जा सका। इन सवालों के जवाब न मिलने से साबित नहीं हुआ कि मालेगांव में धमाका किसने कराया और कौन उसका दोषी हुआ। आइए जानते हैं, कौन से थे ये सवाल…

पहला सवाल – इस ब्लास्ट की साजिशों के लिए मीटिंग हुई थी। इसके बारे में कोई सबूत नहीं मिले हैं।

दूसरा सवाल – स्पॉट पंचनामा ठीक से नहीं किया गया। ऐसे में बहुत से सबूत सिर्फ जुबानी हैं। वास्तव में पेश नहीं किए गए।

तीसरा सवाल – बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी, यह साबित नहीं हो पाया।

चौथा सवाल – धमाके के लिए RDX कर्नल पुरोहित लाए थे और बम तैयार किया था। इसके सबूत नहीं मिले।

पांचवां सवाल – मालेगांव में मस्जिद के पास बम किसने प्लांट किया, सबूत नहीं।

छठा सवाल – यह भी साबित नहीं हुआ कि धमाका बाइक में ही हुआ था या नहीं।

सातवां सवाल – किसने बाइक लगाई, इसके प्रमाण नहीं मिले।

हिंदू कभी आतंकवादी नहीं रहा – जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य

वहीं कांग्रेस पर निशाना साधते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवाधारियों को सताने के लिए कांग्रेस ने यह सब करवाया था। मैं तो यही कहूंगा कि हमारी विजय हुई और इन सातों लोगों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर मानहानि का दावा करना चाहिए। निश्चित वैधानिक कार्रवाई करनी चाहिए, उन्होंने कहा इन्हें इसका दंड भुगतना पड़ेगा। हिंदू कभी आतंकवादी रहा ही नहीं इतिहास उठा कर देख लें।

कांग्रेस को जवाब देना चाहिए – स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती

इससे पहले अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जहां धर्म है, वहां विजय अवश्य होती है। जहां तक मालेगांव बम विस्फोट मामले की बात है, तो यह एक बहुत ही जटिल मामला था। एक तरह से यूपीए के शासनकाल में सोनिया गांधी – राहुल गांधी के नेतृत्व में हिंदू आतंकवादी परिभाषा गढ़ने का प्रयास ही नहीं किया, बल्कि प्रज्ञा ठाकुर जैसे लोगों को बम ब्लास्ट का अभियुक्त बनाकर 9 सालों तक जेल में रखा गया। इसकी जवाबदेही होनी चाहिए, कांग्रेस को जवाब देना चाहिए।

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