देश में इस समय इन्फ्लूएंजा (फ्लू) का H3N2 वायरस काफी तेजी से फैल रहा है। इस वायरस से हरियाणा और कर्नाटक में दो मरीजों की मौत हो गई है। दिल्ली -एनसीआर से लेकर दक्षिण भारत तक इन्फ्लूएंजा के केस बढ़ रहे हैं। उत्तर भारत में तो घर-घर में H3N2 के मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक H3N2 इन्फूलएंजा A का ही एक सब टाइप है। जो इस बार काफी एक्टिव हो गया है।
देशभर की अलग-अलग लैब में फ्लू के मरीजों के जो सैंपल आ रहे हैं। उनमें 10 में से 6 केस H3N2 वायरस के ही हैं। H3N2 वायरस की वजह से लोगों को खांसी-जुकाम और सिरदर्द की शिकायत ही होती है। लेकिन कुछ लोगों के लिए ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। चूंकि दो मरीजों की मौत हो चुकी है तो अब अलर्ट रहना होगा।
कर्नाटक में आए 50 से ज्यादा केस
कर्नाटक में अभी तक H3N2 इन्फूलएंजा वायरस के 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। हालिया मामलों को देखते हुए सरकार 60 साल से ऊपर की उम्र के लोगों और गंभीर रूप से पीड़ित लोगों पर खास ध्यान दे रही है। बताया जा रहा है कि H3N2 वायरस से पीड़ित बुजुर्ग की मौत एक मार्च को ही हो गई थी। बुजुर्ग की मौत के बाद उनके गांव के आसपास के इलाकों में भी लोगों की जांच की गई है।
खांसी और बुखार की वजह ‘इंफ्लुएंजा ए’ का सब-वेरिएंट H3N2
मार्च माह की शुरुआत में ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने कहा था कि भारत में पिछले दो-तीन महीने से लगातार खांसी और किसी-किसी मामले में बुखार के साथ खांसी होने का कारण ‘इन्फ्लुएंजा ए’ का उपस्वरूप ‘एच3एन2’ है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने कहा कि पिछले दो-तीन महीने से व्यापक रूप से व्याप्त H3N2 अन्य उपस्वरूपों की तुलना में रोगी के अस्पताल में भर्ती होने का बड़ा कारण है।
H3N2 मामले में 3 हफ्ते तक रह सकती है खांसी
आईसीएमआरने वायरस से लोगों को बचाने के लिए एक लिस्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। वही दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देश भर में खांसी, जुकाम और जी मिचलाने के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग को लेकर आगाह किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि मौसमी बुखार 5 से 7 दिनों तक रहेगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की एक स्थायी समिति ने कहा कि बुखार 3 दिन में खत्म हो जाएगा। लेकिन खांसी 3 हफ्ते तक बरकरार रह सकती है।
आप भी बरतें ये सावधानियां
प्लस ऑक्सीमीटर की मदद से लगातार ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें और अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 प्रतिशत से कम है। तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। बता दें कि अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90 प्रतिशत से कम है तब इन्टेंशिव केयर की ज़रूरत पड़ सकती है। इस मामले में खुद दवाई लेना खतरनाक हो सकता है।
अगर बच्चों और बूढ़ों को बुखार और कफ जैसी समस्या होती है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। चूंकि यह संक्रमण वायरस से होता है, इसलिए इसमें एंटिबायटिक लेने की जरूरत नहीं है। एंटिबायटिक सिर्फ बैक्टीरिया में कारगर होते हैं।
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